जालंधर के लेदर की इटली तक चमक, शूज ने बनाई पूरे देश में पहचान; इन राज्यों को दे रहा चुनौती

अंग्रेजों के भारत छोड़कर जाने से पहले ही जालंधर में चमड़ा उद्योग कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुका था। इस उद्योग से सैकड़ों की संख्या में कारीगरों के परिवार जुड़े हुए हैं। अपने हाथों के हुनर के दम पर चमड़े से जूते बनाने का काम नहीं छोड़ा।

By DeepikaEdited By: Publish:Sat, 28 May 2022 09:29 AM (IST) Updated:Sat, 28 May 2022 09:29 AM (IST)
जालंधर के लेदर की इटली तक चमक, शूज ने बनाई पूरे देश में पहचान; इन राज्यों को दे रहा चुनौती
जालंधर के लेदर उद्योग में शूज तैयार करते कारीगर। (जागरण)

जालंधर, कमल किशाेर। आजादी से पहले जालंधर में कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुका चमड़ा उद्योग आज पंजाब व देश से लेकर विदेश खासकर इटली तक अपने चमड़े की चमक बिखेर रहा है। यहां की बूटा मंडी व माडल हाउस में विकसित हो चुके उद्योग के लिए पहले लेदर कांप्लेक्स बना और अब रिचर्स इंस्टीट्यूट खोला गया है। यहां रोजाना डेढ़ से दो लाख फीट चमड़ा तैयार किया जाता है। अभी मुख्य काम इसी का है, जिसे विदेश में भी एक्सपोर्ट किया जाता है। यहां के शूज की पहचान पूरे देश में है।

जालंधर के लेदर की इटली तक चमक

अंग्रेजों के भारत छोड़कर जाने से पहले ही जालंधर में चमड़ा उद्योग कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुका था। आज भी इस उद्योग से सैकड़ों की संख्या में कारीगरों के परिवार जुड़े हुए हैं। इन्होंने अपने हाथों के हुनर के दम पर चमड़े से जूते बनाने का काम नहीं छोड़ा और देश भर में चमड़े के जूते बनाकर यहां से सप्लाई कर रहे हैं। यही वजह है कि सरकार ने इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए जालंधर में लेदर कांप्लेक्स की स्थापना वर्ष 1992 में की। उसके बाद धीरे-धीरे लेदर कांप्लेक्स में इकाईयां लगने लगी, जिनमें लेदर गुड्स तैयार होने लगे। विश्व के हर देश में जालंधर से तैयार हुआ लेदर गुड्स एक्सपोर्ट होता है।

जैकेट से लेकर लेदर शूज इंडस्ट्री में होते हैं तैयार

इंडस्ट्री में जैकेट से लेकर लेदर शूज तैयार किए जाते हैं, जिसकी मांग हर वर्ष विदेशी खरीदार को अधिक रहती है। पहले कुटीर उद्योगों में पारंपरिक तरीकों से लेदर तैयार किया जाता था, लेकिन अब कुछ सालों से अत्याधुनिक मशीनों के जरिए लेदर को फाइनल टच देकर तैयार किया जा रहा है। यही वजह है कि जालंधर के लेदर ने विदेश में भी अपनी अलग पहचान बना ली है। खास तौर पर इटली में काफी डिमांड है। वहां पर जालंधर के लेदर से विभिन्न प्रकार के फैशन वाले परिधान तैयार किए जाते हैं।

यह भी पढ़ेंः- Money Laundering Case: भूपिंदर हनी के करीबी कुदरतदीप के खिलाफ दोबारा गैर जमानती वारंट जारी, 7 जून को होगी अगली सुनवाई

कानपुर-मद्रास को जालंधर का लेदर उद्योग दे रहा चुनौती

विभिन्न रंगों में डिमांड के अनुसार लेदर को तैयार करने का हुनर यहां के कारीगरों के पास सालों पहले से है। अत्याधुनिक मशीनों ने अब उनका काम और आसान कर दिया है। यही वजह है कि कानपुर और मद्रास को जालंधर का लेदर उद्योग अपने दम पर चुनौती दे रहा है। हालांकि मद्रास का लेदर उद्योग जालंधर से बड़ा है, लेकिन यहां के लेदर की गुणवत्ता के चलते बाजार में मद्रास से भी तमाम उद्योग जालंधर से लेदर मंगवाकर उसे एक्सपोर्ट करते हैं।

इंस्टीट्यूट उपलब्ध करवाता है जानकारी

यहां के लेदर उद्योग को और आगे बढ़ाने के लिए यहां के लेदर कांप्लेक्स में केंद्र सरकार ने लेदर रिचर्स इंस्टीट्यूट भी खुलवा दिया है। इससे यहां के उद्योगपतियों को अपनी इकाइयों में तैयार होने वाले लेदर की गुणवत्ता के बारे में आसानी से जानकारी मिल जाती है। साथ ही कौन-कौन से जानवरों के लेदर की मांग ज्यादा बढ़ रही है उसकी भी जानकारी इंस्टीट्यूट की तरफ से उपलब्ध करवाई जाती है।

chat bot
आपका साथी