पराली नहीं जलाकर नायक बने जालंधर के किसान, जमीन में जोत की गेहूं और आलू की बिजाई

गांव सरायखास में किसानों ने सेवा सोसायटी व सहकारी सभा के माध्यम से इकट्ठे मिलकर व आसपास के करीब 280 एकड़ रकबे में धान की पराली की अच्छी संभाल कर गेहूं व आलू की बिजाई की। उन्होंने खेत में पराली को आग नहीं लगाई।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 11:31 AM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 11:31 AM (IST)
पराली नहीं जलाकर नायक बने जालंधर के किसान, जमीन में जोत की गेहूं और आलू की बिजाई
गांव सरायखास में कृषि विभाग की ओर से उपलब्ध करवाई गई मशीनरी देखते हुए।

जालंधर, जेएनएन। किसानों को खेतों में पराली न जलाए जाने के लिए प्रोत्साहित करने के अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं। जिले के कई गांवों में किसानों ने सामूहिक तौर पर धान की पराली को खेत में आग नहीं लगाई बल्की उसकी संभाल की। इसके बाद उन्होंने गेहूं व आलु की खेती की है। गांव सरायखास का दौरा करते हुए मुख्य कृषि अधिकारी डा. सुरिंदर सिंह ने बताया कि गांव के किसानों ने सेवा सोसायटी व सहकारी सभा के माध्यम से इकट्ठे मिलकर व आसपास के करीब 280 एकड़ रकबे में धान की पराली की अच्छी संभाल कर गेहूं व आलू की बिजाई की।

डा. सिंह ने कहा कि इस साल गांव की किसान सेवा सोसायटी को दो एमबी प्लो व एक मल्चर सब्सिडी पर उपलब्ध करवाया गया था। इस सोसायटी ने सुपर सीडर की खरीद खुद की है। सोसायटी ने गांव में भरसक प्रयास करते हुए करीब 70 एकड़ गेहूं व 80 एकड़ आलू की बिजाई धान की पराली को जमीन में जोतते हुए की है। इसी तरह सहकारी सभा सराए खास ने भी वर्ष 2017 में एक एमबी प्लो व एक मल्चर 80 फीसद सब्सिडी पर विभाग से प्राप्त किया था। इस सभा ने इन मशीनों को किराये पर मुहैया करवाते हुए 130 एकड़ रकबे में धान की पराली को जमीन में जोता गया है।

सहकारी सभा सराएखास के सचिव सुखबीर सिंह ने बताया कि सभा द्वारा इस वर्ष गांव सराए खास व बिधिपुर के छोटे व सीमांत किसानों को मशीनरी सेवाएं प्रदान की गईं। इस साल सभा को करीब एक लाख रुपये की राशि का किराया भी मिल जाएगा। इस राशि से मशीनरी की संभाल व सभा के चालू खर्च किए जाएंगे।

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