'शिक्षा से अपनी सोच की सीमाएं खत्म करें'

अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अनुभवों से सीख हासिल करके प्रभावशाली कार्य करने होंगे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Sep 2019 07:24 PM (IST) Updated:Wed, 18 Sep 2019 07:24 PM (IST)
'शिक्षा से अपनी सोच की सीमाएं खत्म करें'
'शिक्षा से अपनी सोच की सीमाएं खत्म करें'

जागरण संवाददाता, जालंधर : 'शिक्षा का उद्देश्य मात्र डिग्री हासिल करने तक सीमित नहीं रखें, बल्कि अपनी सोच की सीमाएं खत्म कर एक स्वतंत्र और विवेकवान व्यक्ति बनें।' यह संदेश केएमवी में 'जेंडर इक्विटी एंड इनक्लूजन ट्रांसफॉर्मेटिव पाथवेज इन हायर एजुकेशन' विषय पर आयोजित इंटरनेशनल वर्कशॉप के दूसरे दिन वूमेन राइट्स एक्टिविस्ट कमला भसीन ने दिया। कमला भसीन ने कहा कि पुरुषों को उनकी उग्र पौरुषवादी मानसिकता के प्रति सजग कर उन्हें अधिक मानवीय व संवेदनशील बनाने का प्रयास करना होगा। नारीवाद एक प्रक्रिया है, जिसमें हमें लंबा सफर तय करना है। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अनुभवों से सीख हासिल करके प्रभावशाली कार्य करने होंगे।

राइटर एंड इंडीपेंडेंट रिसर्चर डॉ. वंदना वासुदेवन ने कहा कि महिलाओं का समय घर और परिवार के अनेक कार्यो को करने में विभाजित रहता है। घर, बाहर और कार्यस्थल के कामों में संतुलन बनाने की जद्दोजहद का महिलाओं के मन, रिश्तों, संबंधों व सेहत पर बुरा असर पड़ता है। प्रिसिपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने सभी का स्वागत किया। इस दौरान यूएस अंबैसी से पब्लिक अफेयर्स सेक्शन से कल्चरल अफेयर्स के काउंसलर कोनर्ड टर्नर, विस्कांप की डायरेक्टर डॉ. मीनाक्षी गोपीनाथ, डॉ. सीमा ने अपने विचार रखे। छात्राओं ने भी वक्ताओं से सवाल पूछ उत्सुकता शांत की।

हर आयु वर्ग की महिलाओं ने फैशन शो दिखाया जोश

इस सेशन में छात्राओं द्वारा नुक्कड़ नाटक पेश करने के बाद विभिन्न आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने फैशन शो में हिस्सा लिया। इसमें दिव्यांग व ट्रांसजेंडर भी शामिल हुए। प्रो. अतिमा शर्मा ने कहा कि महिलाओं को कामयाब करियर मेकर्स की ओर अपनी क्षमता का इस्तेमाल करना चाहिए। उनमें आत्मविश्वास है और वे अपने मकसद की ओर अग्रसर हैं तो उनका परिवार उन्हें जरूर समर्थन देगा।

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