जालंधर की शान उद्योगपति पिता-पुत्र अशोक और मुकुल वर्मा, साइकिल से सफर शुरू करके छुई बुलंदी

उद्योगपति मुकुल वर्मा के पिता अशोक वर्मा ने एक कमरे में स्पोर्ट्स उत्पाद बनाने के काम शुरू किया था। आज उनकी फर्म देश में सप्लाई के साथ-साथ विदेश में खेल उत्पादों का एक्सपोर्ट कर रही है। उनके संघर्ष की कहानी सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 08:38 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 08:38 AM (IST)
जालंधर की शान उद्योगपति पिता-पुत्र अशोक और मुकुल वर्मा, साइकिल से सफर शुरू करके छुई बुलंदी
जालंधर के युवा उद्योगपति मुकुल वर्मा अपने पिता अशोक वर्मा के साथ। (जागरण)

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]।  युवा उद्योगपति मुकुल और उनके पिता अशोक वर्मा ने मेहनत के दम पर जालंधर का नाम देश-विदेश में रोशन किया है। मुकुल के दादा लाहौर से विस्थापित होकर जालंधर आए थे। पिता अशोक ने तमाम संघर्ष के बाद खेल उत्पादों को बनाने का जो सिलसिला शुरू किया वह आज तरक्की की कहानी में बदल गया है। उनकी फर्म देश-विदेश में खेल उत्पाद की सप्लाई कर रही है।

मुकुल बतात हैं कि उनके दादा नत्थू राम वर्मा अखंड हिंदुस्तान में रेलवे में थे। देश के बंटवारे के बाद 1947 में वह लाहौर से जालंधर आ गए। दादा जी ने लाहौर में मुगलपुरा नाम की बस्ती बसाई थी, लेकिन बंटवारे के बाद उन्हें वह बस्ती छोड़कर जालंधर आकर नए सिरे से रोजी-रोटी की तलाश शुरू करनी पड़ी थी। उस समय दादा जी को 100 रुपये वेतन मिलता था। उसी से परिवार का खर्च चलता था। दादा जी के रिटायर होने के बाद वह कमाई भी बंद हो गई।

पिता ने वर्ष 1970 में फोकल प्वाइंट में खोली थी फैक्ट्री

कुछ साल संघर्ष के बाद पिता जी अशोक वर्मा ने फोकल प्वाइंट में वर्ष 1970 में फैक्ट्री खोली, लेकिन काम ज्यादा नहीं चला। पिता जी ने हार नहीं मानी। उन्होने हैंड टूल्स का काम शुरू किया, वह भी नहीं चला तो लेदर का काम शुरू किया। कई प्रयोग किए। सभी प्रयोग फेल होते रहे। दादा जी हमेशा एक ही बात पिता जी से कहते थे, मेहनत करते रहो सफलता आज नहीं तो कल जरूर मिलेगी। पिता जी ने उनकी बातों को जीवन में सार्थक रूप से आत्मसार किया और मेहनत करते रहे। हैंड टूल का काम भी नहीं चला तो उन्होंने स्पोर्टस सामग्री बनाने का काम शुरू किया। 10 फीट के कमरे में छोटी सी फैक्ट्री शुरू की और वहां तैयार होने वाली स्पोटेर्स सामग्री को साइकिल पर रखकर उसकी सप्लाई की। सालों तक यह सिलसिला चलता रहा।

पिता की संघर्ष की कहानी पर गर्व

मुकुल बताते हैं उन्हें कहानी सांझा करने में गर्व महसूस होता है कि कोई किस प्रकार से मेहनत करके तरक्की की सीढ़ियां चढ़ सकता है। इसका उदाहरण उन्होंने घर में अपने पिता व दादा-दादी से सीखा। वह बताते हैं कि मां पूनम वर्मा ने घर संभालने के साथ-साथ आर्थिक तंगी में पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जालंधर से फगवाड़ा जाकर मां एक कालेज में विद्यार्थियों को पढ़ाती हैं।

एक दौर वह भी आया जब पिता जी की मेहनत रंग लाने लगी। पहले क्रिकेट का सामान, फिर बाक्सिंग सहित विभिन्न प्रकार के खेलों में इस्तेमाल होने वाली बॉलों का निर्माण शुरू किया। 1982-83 में 10 फीट के कमरे ने एक छोटी फैक्ट्री का रूप ले लिया। दादा जी हमेशा इस बात के लिए प्रेरित करते रहते थे कि जो भी सामन बनाना है, उसकी क्वालिटी से कभी भी समझौता मत करो। मुनाफा हो या न हो लेकिन क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। पिता जी ने यही मंत्र अपनाया। जब मैं छोटा था तो पिता जी के साथ उनके काम की बारीकियां सीखता रहता था। 

आज स्पोर्ट्स एसेसरीज का कई देशों में एक्सपोर्ट

मेरी पढ़ाई जालंधर के एपीजे स्कूल से हुई उसके बाद मैने ग्रैज्युएशन भी एपीजे कालेज से ही की। तब तक पिता जी द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पादों ने विभिन्न देशों में अपनी पहचान बना ली थी। इसके बाद मैने इंग्लैंड से बिजनेस एडमिनिस्ट्‌रेशन में पोस्ट ग्रैज्युएशन पूरी की। वहां से आने के बाद मैंने भी पिता के काम में सक्रिय योगदान देना शुरू कर दिया। आज हम रग्बी बाल, नेट बाल, स्पोर्टस गारमेंट, बैग्स व स्पोर्टस एसेसरीज की पूरी रेंज तैयार करके यूके, आस्ट्रेलिया, जपान, यूएसए, कनेडा, सिंगापुर सहित तमाम देशों में एक्सपोर्ट कर रहे हैं।

मुकुल बताते हैं यह सफर हम लोग दादा-दादी से मिले अच्छे संस्कारों की वजह से ही तय कर पाए हैं। जालंधर मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। यहां के लोग मिलनसार हैं और एक-दूसरे की कद्र करते हैं। कुछ सालों से जरूर विकास के मामले में जालंधर पिछड़ रहा है। सरकार सहित सभी को सहयोग करके जालंधर को साफ-सुथरा बनाने में सहयोग देना चाहिए।

फिल्में देखना, पढ़ना और नई जानकारी जुटाना पसंद

फुरसत के पलों में मुझे फिल्में देखना, पढ़ना, नई सूचनाएं एकत्र करना व दोस्तों के साथ समय बिताना अच्छा लगता है। मैने अपनी जिंदगी में यही सीखा है कि ईमानदारी के साथ मेहनत करते चलो फल जरूर मिलेगा।

chat bot
आपका साथी