1965 Indo-Pak War: पाक सेना ने फाजिल्का के कई गांवों पर कर लिया था कब्जा, 6 सितंबर को हुआ था भीषण युद्ध

हमारे बहादुर सैनिकों ने फाजिल्का पर कब्जा जमा चुके दुश्मनों को कड़े प्रहार के साथ पीछे धकेल दिया था। इस युद्ध के दौरान छह सितंबर 1965 को चौकी झंगड़ पर तैनात जवान कमांडेंट शाम सुंदर व एचसी निर्मल सिंह ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहादत का जाम पीया।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Mon, 06 Sep 2021 04:00 PM (IST) Updated:Mon, 06 Sep 2021 04:09 PM (IST)
1965 Indo-Pak War: पाक सेना ने फाजिल्का के कई गांवों पर कर लिया था कब्जा, 6 सितंबर को हुआ था भीषण युद्ध
वीर जवान शाम सिंह ने 6 सितंबर 1965 को शहादत पाई थी। सांकेतिक चित्र।

मोहित गिल्होलाा, फाजिल्का। भले ही आज भारत-पाक 1965 युद्ध को हुए 45 साल बीत चुके हैं लेकिन जब भी इसकी बात होती है तो इसे अपनी आंखों से देखने वाले कई लोगों के जख्म गहरे हो जाते हैं। उन्हें गर्व महसूस होता है कि हमारे बहादुर सैनिकों ने फाजिल्का पर कब्जा जमा चुके दुश्मनों को कड़े प्रहार के साथ पीछे धकेल दिया था। इस युद्ध के दौरान 6 सितंबर, 1965 को भारत-पाक सीमा की चौकी झंगड़ पर तैनात जवान कमांडेंट शाम सुंदर व एचसी निर्मल सिंह ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहादत का जाम पीया था।

भारत-पाक के बीच 1965 में 3 से 23 सितंबर तक चले भयानक युद्ध में भारतीय सेना ने दुश्मनों को बुरी तरह से पराजित करके युद्ध में विजय पाई थी। फाजिल्का सेक्टर में भी 3 सितंबर, 1965 की शाम पाकिस्तानी सेना ने हवाई हमला कर दिया था। रात में दुश्मनों ने अंतरराष्ट्रीय सुलेमानकी-सादकी चौकी के अलावा अन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया था। सीमावर्ती गांव खानपुर व चाननवाला में कब्जा करने से पहले ग्रामीण सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उनके मकान ध्वस्त कर दिए।

बार्डर एरिया विकास फ्रंट के अध्यक्ष एलडी शर्मा ने बताया कि पाक रेंजर सीमावर्ती कई गांवों पर कब्जा करने के बाद जब चाननवाला गांव के रेलवे स्टेशन की तरफ बढने लगे तो फिरोजपुर से आई 3/9 गोरखा राइफल की दो कंपनियों के जवानों ने अंधाधुंध फायरिग करके दुश्मनों को वापस धकेल दिया और दुश्मन अपने बंकरों को छोड़कर भाग गए। 6 सितंबर को भारत-पाक सीमा की चौकी झंगड़ पर तैनात जवान शाम सिंह व एचसी निर्मल सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर जवानों को मुंहतोड़ जवाब दिया। कांस्टेबल शाम सिंह 22वीं बटालियन बीएसएफ की चौकी झंगड़ पर तैनात थे। इस दौरान 105 पाक इंफेंटरी ने अचानक हमला कर दिया। शाम सिंह व एचसी निर्मल सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर पाक सेना का मुकाबला किया और 6 सितंबर को शहादत का जाम पीया। भारत सरकार ने उन्हें वीरता के लिए पीपीएम-1967 से सम्मान दिया गया। कांस्टेबल शाम सिंह की तस्वीर शहीदों की स्माधि आसफवाला वार मेमोरियल में लगाई गई है, जोकि आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। 

कैंप के दौरान किया गया याद

फाजिल्का के प्रेस क्लब में निरोग जीवन संस्थान द्वारा लगाए जा रहे न्यूरो हीलिंग पद्धति कैंप इन दोनों शहीद जवानों को समर्पित किया गया। इस दौरान 1965 के युद्ध में शहादत पाने वाले इन दोनों वीरों की वीरगाथा को याद करते हुए उन्हें नमन किया गया। बीएसएफ अधिकारियों ने 1965 के युद्ध की जीत को लेकर किए गए प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 

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