इतिहास के पन्नों में 7000 साल से भी पुराना है जालंधर, शहर ने दिए एक प्रधानमंत्री व दो मुख्यमंत्री

सैकड़ों औद्योगिक इकाइयां तीन विश्वविद्यालयों के साथ 400 से ज्यादा अस्पतालों के शहर के रूप में तब्दील हो चुके जालंधर का पुनर्निर्माण देश के विभाजन के बाद हुआ था।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Wed, 28 Aug 2019 01:14 PM (IST) Updated:Wed, 28 Aug 2019 01:14 PM (IST)
इतिहास के पन्नों में 7000 साल से भी पुराना है जालंधर, शहर ने दिए एक प्रधानमंत्री व दो मुख्यमंत्री
इतिहास के पन्नों में 7000 साल से भी पुराना है जालंधर, शहर ने दिए एक प्रधानमंत्री व दो मुख्यमंत्री

जालंधर, जेएनएन। इतिहास के पन्नों  में सात हजार साल से से ज्यादा पुरानी यादें समेटे हुए जालंधर आज भी बेमिसाल है। कभी साढ़े पांच किलोमीटर के दायरे वाला शहर आज 25 किलोमीटर तक फैल चुका है। 70 हजार लोगों से जालंधर की सरकारी आबादी बढ़कर 10 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। एक प्रधानमंत्री व दो मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों की लंबी लिस्ट के साथ देश व प्रदेश की सियासत में जालंधर ने शुरू से ही अपनी पैठ बनाकर रखी है। सैकड़ों औद्योगिक इकाइयां, तीन विश्वविद्यालयों के साथ 400 से ज्यादा अस्पतालों के शहर के रूप में  तब्दील हो चुके जालंधर का पुनर्निर्माण देश के विभाजन के बाद हुआ था।

विभाजन से पहले एशिया के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान रखने वाले जालंधर ने विभाजन के बाद उद्योग-धंधों में क्रांतिकारी बदलाव करके सैकड़ों करोड़ से हजारों करोड़ तक के कारोबार को स्थापित किया। एनआरआई ने भी जालंधर के विकास में अहम भूमिका निभाई और निभा रहे हैं।

1950 तक मात्र एक मंजूरशुदा कालोनी के रूप में माडल टाउन का नाम जाना जाता था। आज छोटी-बड़ी 800 से ज्यादा कालोनियां हैैं। 1960 में पहले तीन सितारा होटल स्काईलार्क का निर्माण हुआ। आज जालंधर में बढ़िया रिहायश वाले एक दर्जन से भी अधिक होटल हैं। एक अदद फ्लाईओवर के लिए तसरने वाले जालंधर में आज नौ फ्लाई ओवरों व रेलवे ओवर ब्रिजों पर सरपट भागती गाड़ियां आसानी से देखी जा सकती हैं। दिल से अमीरों के शहर में  आज करोड़पतियों की संख्या सैकड़ों में है।

विभाजन के बाद पाकिस्तान के स्यालकोट से जालंधर आकर बसे उद्योगपतियों ने नए सिरे से खेल उद्योग की स्थापना ही नहीं की बल्कि पूरी दुनिया में खेल सामग्री की सप्लाई करके अपने हुनर का लोहा भी मनवाया है। हैंड टू्ल्स, पाइप र्फिंटग, वाल्वस एण्ड कॉक्स, कारपेट और कंबल, सर्जिकल और रबर एवं चमड़े का सामान बना कर निर्यात करने वालों ने कमाल कर दिया है। आज आठ लाख से अधिक वाहनों का बोझ जालंधर की सड़कें उठा रही हैं। पंजाब में पहला साइकिल का स्टोर जालंधर के रेलवे रोड़ पर खुला था।

शिक्षण संस्थाएं

1886 में यहां पहला महिला कॉलेज बना। आज आधा दर्जन महिला कॉलेज हैं। कभी लड़कों के लिए मात्र दो कालेज ही थे पर आज कालेजों के अतिरिक्त तीन विश्वविद्यालय भी जालंधर में शिक्षा के क्षेत्र में आ रही क्रांति का प्रमाण हैं। 300 से ज्यादा छोटे व बड़े स्कूलों में जालंधर के नौनिहाल अपना भविष्य तराश रहे हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं

सौ वर्ष पूर्व जालंधर में शहीद बाबू लाभ सिंह सिविल अस्पताल नाम से एक ही अस्पताल था। आज 400 से ज्यादा अस्पतालों के दम पर जालंधर एशिया में सबसे ज्यादा अस्पतालों वाले शहर के रूप में अपनी पहचान रखता है।

मीडिया सेंटर

लाहौर से मीडिया सेंटर का ताज छीनकर जालंधर ने अपने सिर पर सजा लिया। यहां आज लगभग बारह दैनिक समाचार पत्र एवं कुछ साप्ताहिक एवं सांध्य भी हैं।

प्रिंटिंग हब

पंजाब में सबसे बड़े प्रिंटिंग सेंटर का ताज आज भी जालंधर से सिर पर सजा है। चार सौ से अधिक छापेखाने हैं, चार रंगी मशीनों वाले दो दर्जन केंद्र हैं। लाहौर में जो जंतरी प्रकाशित हुआ करती थी, उस सहित कई अन्य जंतरियां जालंधर से ही प्रकाशित हो रही है। शहर कैलेंडरों की प्रिंटिंग और बिक्री का बड़ा केंद्र है।

प्रसार सेवाएं

विभाजन के पश्चात पंजाब की पहली राजधानी जालंधर ही था। यहीं उत्तरी पंजाब के पहले रेडियो स्टेशन और देश के सबसे बड़ा स्टूडियो वाला दूरदर्शन केंद्र स्थापित किया गया था। टीवी टावर इसका जीता-जागता सबूत है।

बैंकिंग सेवाएं

राष्ट्रीयकृत बैंकों के अतिरिक्त अन्य कई बैंक जालंधर के निवेशकों को सुविधाओं के साथ-साथ रोजाना दो सौ करोड़ का कारोबार कर रहे हैं।

सिनेमा जगत

विभाजन से पूर्व तीन सिनेमाघर थे जो नब्बे के दशक तक आते-आते तेरह हो गए। आज एक- दो को छोड़कर नए जालंधर में चार मल्टीपलैक्स ने सभी सिनेमाधरों के बाक्स आफिस पर पर्दा डाल दिया है। फिल्मों के वितरण के लिए उत्तर भारत की सबसे बड़ी संस्था यहां मंडी रोड पर थी। हालांकि डिजिटल प्रिंट ने उत्तर भारत से सबसे बड़े सिनेमा रिलीज उद्योग के दरवाजों पर ताले लगवा दिए।

शहीदी स्मारक

आज़ादी की लड़ाई में शहीद हुए लोगों के लिए करतारपुर में जंग-ए-आजादी यादगार बन गई है। कामागाटा मारू के शहीदों को समर्पित देश भगत यादगार हाल है। एक शहीदी स्तंभ पुलिस लाइन के निकट है।

सामाजिक संस्थाएं

अपंग तथा मानसिक रोगियों के लिए तीन बड़े आश्रम हैं। बधिर एवं मूक बच्चों के लिए चार स्कूल हैं। अनाथ बच्चों के लिए तथा पारिवारिक प्रताड़ना से पीड़ित लड़कियों के लिए भी यहां चार केंद्र हैं।

अन्य खास बातें 100 से ज्यादा देशों में जालंधर में बने विभिन्न उत्पादों ने बनाई पहचान एक स्पोर्टस कॉलेज और चार स्डेडियम के साथ जालंधर ने खेल जगत में अलग पहचान बनाई  हैं। एक बड़ी सब्ज़ी मंडी और दो अनाज मंडियों से रोजाना सैकड़ों करोड़ का कारोबार हो रहा है। जालंधर रेलवे स्टेशन से सवा सौ से अधिक गाड़ियां रोज़ाना निकलती हैं। भारत में कोलकाता के बाद दूसरी साइंस सिटी जालंधर के ही निकट है। आदमपुर में हवाई अड्डे का निर्माण हो चुका है।

(प्रस्तुतिः दीपक जालंधरी, लेखक शहर के जानकार और स्तंभकार हैं)

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