अस्थमा व एलर्जी के मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है पटाखों का धुआं, ऐसे बरते सावधानियां Jalandhar News

दीवाली की रात पटाखों से निकलने वाला धुआं अस्थमा व एलर्जी और टीबी के मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

By Edited By: Publish:Fri, 25 Oct 2019 06:37 PM (IST) Updated:Sun, 27 Oct 2019 05:18 PM (IST)
अस्थमा व एलर्जी के मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है पटाखों का धुआं, ऐसे बरते सावधानियां Jalandhar News
अस्थमा व एलर्जी के मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है पटाखों का धुआं, ऐसे बरते सावधानियां Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। दीवाली पर पटाखों की धमाकेदार आवाज और थोड़े समय के लिए इनकी रंगीन रोशनी अच्छी लगी है, लेकिन इन्हीं से निकलने वाले केमिकल युक्त धुएं से जहां पर्यावरण को नुकसान होता है। वहीं लोगों के स्वास्थ्य पर भी खतरनाक प्रभाव पड़ते हैं। दीवाली की रात पटाखों से निकलने वाला धुआं अस्थमा व एलर्जी और टीबी के मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। यही कारण है कि पर्यावरण प्रेमी पर्यावरण सरंक्षण और स्वस्थ्य समाज के लिए ईको फ्रेंडली दीवाली मनाने की सलाह दे रहे हैं। 

टाखों से निकलने वाली जहरीली गैसों से बचें

छाती रोगों के डॉक्टर राजीव शर्मा का कहना है कि पटाखों से निकलने वाला धुआं अस्थमा व एलर्जी के मरीजों के लिए नुकसानदायक होता है। पटाखों से नाइट्रोजन , पोटाशियम आक्साइड्स, फारफोरस, कार्बन डाइआक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड व सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं जो छाती व फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को दावत देती है। दीवाली के बाद ऐसे मरीजों 10-15 फीसद इजाफा होता है। टीबी, अस्थमा व एलर्जी के मरीजों को इससे बचने की जरूरत है। उन्होंने लोगों पटाखे चलाते समय मास्क का प्रयोग करने की बात कही है। इसके अलावा हाथ में पटाखे चलने से मांस व हड्डी को काफी नुकसान पहुंचता है। वहीं तेज आवाज वाले पटाखों कानों को भी प्रभावित करते हैं।

सावधानियां पटाखा हाथ में पकड़ कर न जलाएं। जलाने के बाद अगर पटाखा न जले, तो तुरंत यह देखने की कोशिश न करें कि वह क्यों नहीं जला? पटाखों के भंडार को पटाखे जलाने के स्थान के पास न रखें। छोटे बच्चों को स्वयं पटाखे चलाने को न दें। पटाखों को कभी भी जेब में न रखें। एक साथ कई पटाखों को जलाने की कोशिश न करें। पटाखों पर झुककर उन्हें नहीं चलाना चाहिए। पटाखों को कभी भी टीन के डिब्बे या कांच की बोतल में रखकर न जलाएं।

सुझाव

मोमबत्ती से पटाखों को उचित दूरी पर रखकर जलाएं। पानी की 2-3 बाल्टियों को पटाखे जलाने के स्थान के पास रखें। पटाखे चलाते समय केवल सूती वस्त्र ही पहनें। राकेट को किसी पेड़ के नीचे या किसी अवरोध के पास न जलाएं। तेज आवाज वाले पटाखे जलाते समय कान में रुई डालनी चाहिए।

बर्न यूनिट, सहायता के यहां करें कॉल

बाठ अस्पताल डॉ. जेएस बाठ 9876160102 पसरीचा अस्पताल बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी सेंटर डॉ. पुनीत पसरीचा:- 9988841129 पिम्स: 0181 6606000

इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा 108 सुरक्षा हर चौक में पुलिस तैनात है, इमरजेंसी में 100 पर डायल करें।

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