आटा-दाल स्कीम : स्मार्ट कार्ड के साथ डिपो होल्डरों की बढ़ी परेशानी, बचे हुए स्टॉक को संभालना होगा मुश्किल

अगर एक राशन डिपो के कार्ड होल्डर अन्य डिपो से अपने हिस्से का राशन ले लेते हैं तो पहले वाले डिपो पर बचा हुआ गेहूं अगले छह माह तक उसे संभालना पड़ेगा।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 14 Sep 2020 08:52 AM (IST) Updated:Mon, 14 Sep 2020 08:52 AM (IST)
आटा-दाल स्कीम : स्मार्ट कार्ड के साथ डिपो होल्डरों की बढ़ी परेशानी, बचे हुए स्टॉक को संभालना होगा मुश्किल
आटा-दाल स्कीम : स्मार्ट कार्ड के साथ डिपो होल्डरों की बढ़ी परेशानी, बचे हुए स्टॉक को संभालना होगा मुश्किल

जालंधर, [शाम सहगल]। पंजाब सरकार द्वारा आटा-दाल स्कीम के तहत जारी किए गए स्मार्ट कार्ड राशन डिपो होल्डरों के लिए बड़ी समस्या बनने वाले हैं। कारण, इस स्कीम के तहत लाभार्थी किसी भी राशन डिपो से अपने कोटे का राशन हासिल कर सकता है। ऐसे में अगर एक राशन डिपो के कार्ड होल्डर अन्य डिपो से अपने हिस्से का राशन ले लेते हैं तो पहले वाले डिपो पर बचा हुआ गेहूं अगले छह माह तक उसे संभालना पड़ेगा। वहीं अगर दूसरे राशन डिपो पर अधिक बिक्री हो गई तो उसे नए सिरे से डिमांड करनी पड़ेगी।

गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को सस्ते दरों पर राशन मुहैया करवाने के लिए गठबंधन सरकार द्वारा आटा-दाल स्कीम का आगाज किया गया था। इसके तहत दो रुपये किलो आटा तथा 20 किलो दाल दी जाती रही है। समय के साथ इस स्कीम में कई परिवर्तन किए गए। इसमें आटे की जगह पर गेहूं दिया जाने लगा तो दाल व केरोसिन की सप्लाई बंद कर दी गई। इस समय केवल दो रुपये प्रति किलो गेहूं ही वितरित की जा रही है। इसमें भी परिवर्तन करते हुए अब पंजाब सरकार ने नीले कार्ड को स्मार्ट कार्ड में परिवर्तित कर दिया है, जिसने डिपो होल्डरों की परेशानी बढ़ा दी है।

कैसे करेंगे एडवांस में डिमांड?

नियमानुसार राशन डिपो पर रजिस्टर्ड नीले कार्ड के मुताबिक ही डिपो होल्डर को एडवांस में गेहूं की डिमांड भेजनी होती है। इसी के मुताबिक बैंक में एडवांस में ही कोटे के पैसे भी जमा करवाने होते हैं। अगर कुछ लाभार्थी इस डिपो से अपने हिस्से का कोटा लेने की बजाय दूसरे डिपो से अपने हिस्से का गेहूं उठा लेते हैं तो उसके पास निश्चित रूप से गेहूं बच जाएगा, जिसे अगले छह माह तक संभालने की जिम्मेदारी उसी की होगी।

917 डिपो में आएगी असमानता

जिले में इस समय 917 राशन डिपो है, जहां पर 248205 कार्ड होल्डरों को एक समान कार्ड के तहत गेहूं का वितरण किया जाता है। इसमें 30 किलो गेहूं प्रति सदस्य के हिसाब से कोटा जारी किया जाता है। हर राशन डिपो पर निर्धारित राशन कार्ड रजिस्टर्ड है। उसी के मुताबिक डिपो होल्डर द्वारा हर छह माह बाद गेहूं की डिमांड तथा के पैसे बैंक में जमा करवाए जाते हैं। स्मार्ट कार्ड जारी होने के बाद राशन डिपो पर रजिस्टर्ड हुए कार्डों में असमानता आ जाएगी।

स्कीम में परिवर्तन की जरूरत

राशन डिपो होल्डर यूनियन के अध्यक्ष अनूप सरीन बताते हैं कि अभी तक सभी राशन डिपो होल्डर आपसी भाईचारे के साथ इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन लाभार्थी द्वारा कहीं से भी अपने हिस्से का कोटा लेने के बाद इसमें असमानता आ जाएगी। इसके चलते सरकार को इस स्कीम में परिवर्तन करना चाहिए।

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