DAV College Webinar: स्टूडेंट्स को बताया हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी के शब्दों सही उच्चारण

प्रिंसिपल डा. एसके अरोड़ा ने कहा कि भाषा से ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है। किसी भाषा के विलुप्त होने से न केवल भाषा बल्कि उस क्षेत्र की संस्कृति का भी विनाश हो जाता है। इसलिए हमें भाषाओं को बचाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 27 Oct 2020 02:22 PM (IST) Updated:Tue, 27 Oct 2020 02:22 PM (IST)
DAV College Webinar: स्टूडेंट्स को बताया हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी के शब्दों सही उच्चारण
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार वर्ष 2021 तक 96 प्रतिशत भाषाएं और उनकी लिपियां समाप्त हो जाएंगी। (सांकेतिक फोटो)

जालंधर, जेएनएन। डीएवी कॉलेज के स्टूडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने मंगलवार को भाषाओं के महत्व, उच्चारण और संरक्षण पर एक वेबिनार करवाई। इसमें विद्यार्थियों को हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी के शब्दों के सही उच्चारण के साथ-साथ उनका महत्व बताया गया। वेबिनार का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को हर भाषा के महत्व और उनकी विशेषताओं से अवगत करवाना था।

इस मौके पर प्रिंसिपल डा. एसके अरोड़ा ने कहा कि भाषा से ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है। राष्ट्र को सक्षम और धनवान बनाने के लिए भाषा और साहित्य की संपन्नता और उसका विकास बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब से इंसान ने होश संभाला है, तभी से उसे भाषा की आवश्यकता रही है। आज विश्व में कई भाषाएं न बोलने से या गलत उच्चारण के कारण विलुप्त हो रही हैं। किसी भाषा के विलुप्त होने से न केवल भाषा बल्कि उस क्षेत्र की संस्कृति का भी विनाश हो जाता है। इसलिए हमें भाषाओं को बचाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए।

स्टूडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की डीन प्रो. एकजोत कौर ने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यह हमारे समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण साधन है। आज वैश्वीकरण के इस दौर में हम भाषाओं को भूल रहे हैं या उनका उच्चारण गलत करते हैं। हम सही ढंग से किसी भी भाषा को नहीं जानते लेकिन सभी भाषाओं को मिलाकर अपनी ही नई भाषा बना रहे हैं। जैसे अंग्रेजी और हिंदी मिलाकर अब हिंगलिश बन गई है।

संस्कृति को बचाने के लिए भाषा बचानी होगी

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमान के अनुसार वर्ष 2021 तक 96 प्रतिशत भाषाएं और उनकी लिपियां समाप्त हो जाएंगी। विश्व में दुर्लभ श्रेणी की भाषाओं की संख्या 234 तक पहुंच चुकी है और 2500 से भी अधिक बोलियां समाप्त होने की कगार पर हैं। यह चिंताजनक है क्योंकि भाषा ही संस्कृति का आधार है। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए हमें अपनी भाषा को भी बचाना होगा।

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