टेलिकॉम कंपनी नंबर बंद करने के बजाय भेजा 350 रुपये का बिल, अब देने होंगे 15 हजार

मनोहर लाल (64) निवासी गुलमर्ग एवेन्यू ने अपना सिम बंद करवाने का आवेदन किया था। कंपनी ने सिम बंद नहीं किया और बिल भेज दिया।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Thu, 23 Jan 2020 03:13 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jan 2020 07:38 PM (IST)
टेलिकॉम कंपनी नंबर बंद करने के बजाय भेजा 350 रुपये का बिल, अब देने होंगे 15 हजार
टेलिकॉम कंपनी नंबर बंद करने के बजाय भेजा 350 रुपये का बिल, अब देने होंगे 15 हजार

जालंधर, जेएनएन। एक टेलिकॉम कंपनी ने आवेदन के बावजूद सिम कनेक्शन बंद नहीं किया, उलटे उसने 350 रुपये का बिल भेजकर बुजुर्ग को किया। मामले की शिकायत करने पर सुनवाई भी नहीं की। बुजुर्ग ने जिला कंज्यूमर फोरम में शिकायत दी। अब वोडाफोन कंपनी व उसकी कर्मचारी को बिल के 350 रुपये लौटाने के साथ-साथ हर्जाने व केस खर्च के तौर पर 15,000 चुकाने का आदेश कंज्यूमर फोरम ने दिया है।  

मनोहर लाल (64) निवासी गुलमर्ग एवेन्यू ने 26 अगस्त 2019 को कंज्यूमर फोरम में शिकायत दी थी कि उनके पास वोडाफोन कंपनी का प्रीपेड नंबर था। 30 मई 2019 को वो वोडाफोन के सिविल लाइंस स्थित स्टोर में काउंटर इंचार्ज अनु से सिम एक्टिवेट करने के लिए मिले। उन्हें कहा गया कि सिम एक्टिवेट करवाना है तो पोस्टपेड करवा लें। उसने उनसे 300 रुपये (सिक्योरिटी) जमा करवा लिए। इसकी रसीद भी नहीं दी। युवती ने उनसे कुछ दस्तावेज पर साइन करवा लिए। उसी दिन सिम एक्टिवेट हो गया। उन्होंने दस दिन सिम का इस्तेमाल किया। फिर, उन्हें अनु का फोन आया कि उन्होंने जून का 214 रुपये का बिल नहीं भरा है। इसके बाद वे 220 रुपये जमा करवाकर सिम बंद करने को कह आए। इस पर अनु ने कहा कि नंबर बंद नहीं होगा। हर महीने उन्हें 350 रुपये भरने पड़ेंगे। उन्होंने नंबर नहीं बंद किया और बिल भेजते रहे। तब मनोहर लाल ने फोरम में शिकायत दी, जहां से वोडाफोन कंपनी व काउंटर इंचार्ज अनु को नोटिस निकाला गया लेकिन वे पेश नहीं हुए।

फोरम ने उन्हें एक्सपार्टी करार दे दिया और कहा कि सिम कनेक्शन बंद करने का आवेदन देने के बाद बिल क्यों भेजा गया। यह सरासर गलत है। फोरम ने कंपनी के साथ उसकी कर्मचारी अनु को भी इसका जिम्मेदार ठहराया। फोरम के प्रेसिडेंट करनैल सिंह और सदस्य ज्योत्सना ने अपने फैसले में शिकायतकर्ता से ली गई 350 रुपये की रकम वापस लौटाने को कहा। इसके साथ ही मानसिक परेशानी के एवज में दस हजार और केस खर्च के तौर पर पांच हजार रुपये देने को कहा। इसके लिए उन्हें महीने का वक्त दिया गया है। इसके बाद भी पैसा नहीं दिया तो फिर शिकायत करने की तिथि से कुल 15350 रुपये पर 12 फीसद ब्याज भी देना होगा।

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