मंथन में फंसी भाजपा, नए चेहरे या पुराने सूरमा..फंसा पेंच

भारतीय जनता पार्टी पंजाब की सीटों पर किसी समय भी उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। बुधवार देर रात तक भाजपा संसदीय बोर्ड की मीटिग में पंजाब की सीटों पर चर्चा होनी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 01:54 AM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 01:54 AM (IST)
मंथन में फंसी भाजपा, नए चेहरे या पुराने सूरमा..फंसा पेंच
मंथन में फंसी भाजपा, नए चेहरे या पुराने सूरमा..फंसा पेंच

जागरण संवाददाता, जालंधर : भारतीय जनता पार्टी पंजाब की सीटों पर किसी समय भी उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। बुधवार देर रात तक भाजपा संसदीय बोर्ड की मीटिग में पंजाब की सीटों पर चर्चा होनी है। यह बैठक शाम पांच बजे होनी थी, लेकिन दूसरे चुनावी राज्यों की बैठकों में समय लगने के कारण इसमें देरी हो गई। मीटिग में भाजपा की एक सूची फाइनल होना तय है। करीब 20 उम्मीदवारों की सूची फाइनल कर देने की तैयारी है। भाजपा ने अपने सहयोगी दलों से सीट का बंटवारा कर लिया है।

भाजपा पंजाब में 64 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस को 39, शिरोमणि अकाली दल संयुक्त को 14 और सिमरनजीत सिंह बैंस की लोक इंसाफ पार्टी को चार सीटें दी गई हैं। पंजाब में बहुमत के लिए 59 सीटों की जरूरत है। भाजपा अपने उम्मीदवार तय करने से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोल चुकी है और हर सीट पर जाति, वर्ग और नेता के कद पर भी मंथन हो रहा है। जालंधर में भाजपा का फोकस शहर की चारों सीटों पर है। जालंधर सेंट्रल, नार्थ और वेस्ट में तो भाजपा हर बार चुनाव लड़ती है, लेकिन इस बार कैंट पर भी भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। वेस्ट में मोहिदर भगत को राबिन सांपला से चुनौती मिल रही है। नार्थ में भाजपा के प्रदेश उपप्रधान राकेश राठौर और जिला प्रधान सुशील शर्मा ने पूर्व विधायक केडी भंडारी के दावे को चुनौती दे रखी है। सेंट्रल हलके में पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के साथ ही शैली खन्ना, किशन लाल शर्मा, अनिल सच्चर व सन्नी शर्मा भी दावेदार हैं। कैंट में सरबजीत सिंह मक्कड़, अमित तनेजा, दीवान अमित अरोड़ा व अमरजीत सिंह अमरी ने दावा ठोक रखा है।

जालंधर की चार सीटों को लेकर लोगों की भी नजरें भाजपा की घोषणा पर टिकी हुई है। भाजपा के संसदीय बोर्ड में यह मंथन हो रहा है कि पुराने चेहरों को ही रिपीट किया जाए या नए चेहरे उतारे जाएं। पार्टी ने पहले यह फैसला कर लिया था कि इस बार जालंधर और दूसरे शहरों में जहां भाजपा ने अकाली दल के साथ गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ा था, वहां पर नए चेहरे उतारे जाएंगे। पार्टी के इस निर्णय से पुराने चेहरे एकजुट हो गए हैं और पार्टी पर यह दबाव बना रहे हैं कि पुराने चेहरों पर ही दांव खेला जाए। बताया जा रहा कि इसमें पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा खुद भी शामिल है, क्योंकि अगर नए चेहरे सामने आते तो पठानकोट से उनकी टिकट भी कट सकती है। इस वजह से पिछला चुनाव लड़ने वाले कई बड़े नेता संसदीय बोर्ड में यह दबाव बनाने की कोशिश में हैं कि नए चेहरों के बजाय पुराने चेहरों को ही रिपीट कर दिया जाए। इसके लिए यह भी तर्क दिया गया है कि अगर नए चेहरे उतारे जाते हैं तो पार्टी में बगावत का खतरा है। भाजपा पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव

भारतीय जनता पार्टी पहली बार पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर बड़े लेवल पर चुनाव लड़ने जा रही है। कृषि सुधार कानूनों को रद करने के बाद भाजपा पंजाब में इसे एक नए एक्सपेरिमेंट के रूप में देख रहे हैं। भाजपा की कोशिश यही रहेगी कि इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करके ग्राउंड तैयार कर ली जाए, ताकि पंजाब में अगले चुनाव में जीत हासिल करना संभव हो सके। इसी वजह से भाजपा दबाव में भी बताई जा रही है और पुराने नेताओं के नाम ही दोबारा लिस्ट में देखने को मिल सकते हैं।

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