एसजीपीसी के 100 वर्ष, अमृतसर में श्री अखंड पाठ साहिब शुरू, 17 को डाला जाएगा भोग

एसजीपीसी के गठन को सौ वर्ष पूरे हो गए हैं। इसके मद्देनजर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। श्री अकाल तख्त साहिब पर श्री अखंड साहिब पाठ शुरू किए गए हैं। इनका भोग 17 नवंबर को डाला जाएगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 15 Nov 2020 05:04 PM (IST) Updated:Sun, 15 Nov 2020 05:04 PM (IST)
एसजीपीसी के 100 वर्ष, अमृतसर में श्री अखंड पाठ साहिब शुरू, 17 को डाला जाएगा भोग
श्री अकाल तख्त साहिब पर शुरू हुए अखंड पाठ। जागरण

जेएनएन, अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सौ साला स्थापना दिवस समारोह मनाने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पर श्री अखंड पाठ साहिब की शुरूआत की गई। एसजीपीसी की स्थापना शताब्दी का मुख्य कार्यक्रम 17 नवंबर को गुरुद्वारा मंजी साहिब दीवान हाल में होगा। कार्यक्रमों की शुरूआत एसजीपीसी की ओर से गत दिवस ऐतिहासिक चित्र प्रदर्शनी के साथ की गई।

अखंड पाठ साहिब का भोग 17 नवंबर को डाला जाएगा। इस दौरान भाई सुलतान सिह ने अरदास की और पावन हुकमनामा श्री अकाल तख्त साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी मलकील सिहं की ओर से पढ़वाया गया। एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोगोंवाल ने कहा ​कि एसजीपीसी ने अपने सौ वर्षों के सफर के दौरान ऐतिहासिक प्राप्तियां की हैं। इस दौरान कौम के मामलों, सेहत व शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ साथ जनकल्याण के कार्यों में योगदान दिया। सिखी के प्रचार व प्रसार के लिए एसजीपीसी ने बडा योगदान डाला है।

इस मौके पर ग्रंथी ज्ञानी गुरमुख, पूर्व केबिनेट मंत्री गुलजार सिंह रणीके, रजिंदर सिंह मेहता, मगविंदर सिंह खापडखेडी, महासचिव हरजिंदर सिंह धामी, जूनियर उपाध्यक्ष गुरबख्श सिंह खालसा, अलविंदरपाल सिंह पाखोके, भाई राम सिंह, भाई मंजीत सिंह, भगवंत सिंह सियालका, सुरजीत सिंह भिट्टेवड्ड, गुरमुख सिंह बलौर, महिंदर सिह आहली, अमरपाल सिंह बोनी, कुलविंदर सिंह रमदास, बलविंदर सिंह काहलवां, सिमरजीत सिंह कंग, गुरमीत सिंह बुट्टर, गुरिंदर सिंह मथरेवाल, रजिंदर सिंह रूबी, मुखतार सिंह आदि भी मौजूद थे।

बता दें एसजीपीसी का गठन 1920 में हुआ था। उस समय एसजीपीसी में 175 सदस्य थे। इसके बाद 1925 में सिख गुरुद्वारा एक्ट पास हुआ था। इसके लिए हजारों सिखों को कुर्बानी देनी पड़ी थी। 1947 में देश विभाजन के बाद SGPC से पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा साहिब  अलग हो गए थे। 1966 पंजाब के विभाजन के बाद हरियाणा में भी अलग SGPC की मांग उठी। वर्तमान में एसजीपीसी गुरुद्वारा साहिबान का प्रबंध देखने के अलावा कई शिक्षण संस्थान भी संचालित कर रही है।

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