वम माफिया ने खाली किए बीत इलाके के जंगल

गढ़शंकर पंजाब व हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ लगते बीेत इलाके की शिवालिक श्रृंखला की पहाड़ियों में खैर के पेड़ों को चोरी छिपे काटने का क्रम काफी सालों से जारी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Jul 2020 10:17 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jul 2020 10:17 PM (IST)
वम माफिया ने खाली किए बीत इलाके के जंगल
वम माफिया ने खाली किए बीत इलाके के जंगल

रामपाल भारद्वाज, गढ़शंकर: पंजाब व हिमाचल प्रदेश की सीमा के साथ लगते बीेत इलाके की शिवालिक श्रृंखला की पहाड़ियों में खैर के पेड़ों को चोरी छिपे काटने का क्रम काफी सालों से जारी है। करोड़ों रुपये की खैर की कीमती लकड़ी को काटकर वन माफिया खुद कीमती जमीनों का मालिक बन चुका है, पर विभाग उन पर कार्रवाई करने में अब भी असमर्थ है। इन जंगलों की श्रृंखला में खैर माफिया अपने सियासी व विभागीय अधिकारियों से संबंधों के कारण खैर को काटकर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा रहे हैं। खैर माफिया के लोग गांवों के लोगों से सस्ते दाम पर पेड़ खरीद लेते हैं और विभाग से पेड़ काटने की परमिशन लेकर कटाई करते हुए तय परमिशन से तीन गुना अधिक पेडों को काट लेते हैं। इसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से पेड़ों को जंगल में छीलकर अन्य प्रदेशों की मंडियों में महंगे दामों पर बेच कर करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं। इनके विरुद्ध कोई भी शिकायत नही करता अगर कोई शिकायत कर देता है, तो उसकी आवाज को दबा दिया जाता है। वन माफिया जंगलों में अवैध कटाई कर गढ़शंकर, सड़ोया, नंगल, आनंदपुर साहिब जैसे शहरों व गांवो में कई स्थानों पर महंगे दामों पर जमीनों के मालिक बन गए हैं। माफिया यहां अवैध रूप से जंगलों से लकड़ काट अपने निजी हितों के लिए इस्तेमाल कर रहा है। लोगों का कहना है कि वन विभाग के गढ़शंकर व रूपनगर में पिछले चार दशकों से परमिट लेकर व अवैध रूप से खैर काटने वाले ठेकेदारों की आमदन की जांच कराई जाए, तो सनसनीखेज खुलासे सामने आएंगे जिसके फलस्वरूप सरकार को अरबों रुपये का टैक्स प्राप्त हो सकता है। नशे के तस्करों की प्रॉपर्टी जब्त करने की तर्ज पर खैर के ठेकेदारों की जायदाद की जब्त करने जैसा कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए। गढ़शंकर के लसाडा, भरतपुर राजपूतां, रामपुर बिलड़ो, शाहपुर, ललवान, कोठी, मैली पनाहपुर, शेखोवाल के जंगलों में से खैर की अवैध कटाई के अब तक ई मामले सामने आ चुके हैं। जंगलों से बड़े पैमाने पर हो रही खैर की कटाई के मामलों में अकसर कभी कभार कोई छोटा मोटा चोर ही पुलिस की गिरफ्त में आता है, जबकि बड़े खैर चोर अधिकारियों के आशीर्वाद से उनकी पकड़ से दूर रहते है।

कब- कब वन माफिया ने चलाई जंगलों में कुल्हाड़ी -08 जनवरी 2018 : रामपुर बिलडो के जंगलों से 85 खैर के पेड़ कटने की बात सामने आई । इसमें से वन विभाग ने 21 नग बरामद भी किए थे, जिसे बाद में वन विभाग ने ग्राम पंचायत को सौंप दिया था।

-12 मार्च 2019 - गढ़शंकर के बीत इलाके के गांव शेखुवाल के जंगलों से 25 पेड़ काटे गए।

-10 मार्च 2019 - माहिलपुर वन विभाग ने टाटा गाड़ी पब 16 5299 से 88 नग खैर के व 28 पेडों के झुंड बरामद किए।

-18 मार्च 201 को बीत इलाके के गांव शेखोवाल के जंगलों में खैर की कीमती लकड़ के 25 पेड़ वन माफिया ने काटे।

-24 मार्च 2019 - मैली पनाहपुर, कोठी व लालवान जंगलों से खैर के पेड़ काटने का मामला सामने आया।

-05 जुलाई 2019 - लसाडा गांव में वन माफिया ने आठ खैर के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई।

-13 जुलाई 2020 को महदूद के जंगल से दस पेड़ काटने का मामला सामने आया है। यहां पंचायत ने आरोप लगाया था कि इन पेड़ों को वनगार्ड के आदेश पर मनरेगा वर्करों ने काटा है।

-15 जुलाई 2020 को खैर माफिया ने रामपुर बिलडो के जंगल को निशाना बनाते हुए 25 पेड़ खैर के काट दिए।

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