सच्चे मन से स्मरण करें, पुकार सुनेंगे भगवान : स्वामी महेश

प्राचीन शिव मंदिर फतेहपुर में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन करते तपोमूर्ति स्वामी महेश पुरी ने कहा कि हम मंदिर में जाकर प्रार्थना तो करते हैं, लेकिन हमारा ध्यान मंदिर में न होकर दुनिया में भ्रमण कर रहा होता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Jan 2019 03:32 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jan 2019 03:32 PM (IST)
सच्चे मन से स्मरण करें, पुकार सुनेंगे भगवान : स्वामी महेश
सच्चे मन से स्मरण करें, पुकार सुनेंगे भगवान : स्वामी महेश

संवाद सहयोगी, दातारपुर : प्राचीन शिव मंदिर फतेहपुर में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन करते तपोमूर्ति स्वामी महेश पुरी ने कहा कि हम मंदिर में जाकर प्रार्थना तो करते हैं, लेकिन हमारा ध्यान मंदिर में न होकर दुनिया में भ्रमण कर रहा होता है।

उन्होंने कहा हम प्रभु के चरणों में बैठकर भी उनसे दूर रहते हैं और विषय विकारों में ही हमारा मन भटकता रहता है। जिससे हम उपासना की जगह वासना के चक्कर में फंसे जाते हैं और भगवान को स्मरण नहीं करते। उन्होंने कहा कि जब हमें दुखों का सामना करना पड़ता है, तो हमें फिर भगवान की याद आती है। चाहिए तो यह कि हम हर समय ईश्वर का ध्यान करें और सत्कर्म करें। उन्होंने कहा हमें चाहिए कि जब सुख हो तो भी समर्पण भाव से एकाग्रचित होकर भगवान की प्रार्थना करें। इससे हमें आने वाले दुखों को भगवान स्वयं हरते हैं। स्वामी महेश ने कहा फिर भी संकट आने पर जब भगवान के भक्त पुकार करते हैं, तो भगवान उनके दुखों को हरने के लिए दौड़े चले आते हैं।

स्वामी जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह गजहाथी ने जब उसे मगरमच्छ ने पकड़ लिया था, तो उसने सच्चे मन से भगवान को पुकारा तो भगवान ने उनका दुख हरा और उसे संकट से मुक्त किया। इसी तरह जब द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था। द्रोपदी ने अर्जुन, भीमसेन, युद्धिष्ठिर, नकुल सहदेव को देखा जो बड़े पराक्रमी थे। परंतु वह उसकी मदद नहीं कर सके। परेशान होकर जब उसने भगवान का स्मरण किया तो भगवान श्रीकृष्ण ने भरी सभा में आकर उनकी लाज बचाई।

उन्होंने कहा भगवान आते हैं पर हम उन्हें बुलाते ही नहीं। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन प्रभु भक्ति, सत्संग, सत्कर्म और परोपकार करने से ही संवरता है। इसलिए धर्मपूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए। इस अवसर पर आनंत राम नंबरदार, मनु ठाकुर, अंकुश, सु¨रदर कुमार, व¨रद्र शास्त्री, गोविन्द, राजिंद्र कुमार आदि उपस्थित थे।

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