आस्था केंद्र है महिषासुर मर्दिनी मंदिर में स्थापित शिवाला

शहर के माता महिषासुर मर्दिनी में स्थापित भगवान भोलेनाथ की पिडी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Aug 2021 08:09 PM (IST) Updated:Sat, 14 Aug 2021 05:15 AM (IST)
आस्था केंद्र है महिषासुर मर्दिनी मंदिर में स्थापित शिवाला
आस्था केंद्र है महिषासुर मर्दिनी मंदिर में स्थापित शिवाला

संवाद सहयोगी, गढ़दीवाला : शहर के माता महिषासुर मर्दिनी में स्थापित भगवान भोलेनाथ की पिडी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। वैसे तो सारा साल मंदिर में चहल पहल रहती है व लोग दूर दूर से नतमस्तक होने आते हैं लेकिन सावन के माह में यहां उत्सव जैसा माहौल है, मानो जैसे मेला लगा हो। सुबह पहले पहर से ही लोग मंदिर में माथा टेकने आते हैं व अराध्य भोलेनाथ को गंगाजल, बेलपत्र चढ़ाते हैं।

मंदिर का इतिहास

मंदिर सदियों पुराना है और मंदिर के नाम से ही कस्बे का नाम गढ़दीवाला पड़ा है। गढ़दीवाला यानी गढ़ देवी वाला। वह गढ़ या स्थान जहां देवी का वास हो। गढ़दीवाला का नाम माता देवी भगवती, महिषासुर मर्दिनी से पड़ा है। यह शहर 1429 में बसा था। मंदिर में मां की दस भुजाओं वाली मूर्ति विराजमान है। इलाके के बुजुर्गों की मानें तो एक बार महात्मा आए थे, वह मंदिर स्थल (उस समय मंदिर नहीं था) के पास गुजर रहे थे तो उन्होंने देखा कि गाय का इस स्थान पर दूध टपक रहा है। उन्हें ज्ञात हुआ कि यह कोई पवित्र स्थान है जिसके बाद उन्होंने आसपास के लोगों को इस बारे में बताया। लोगों ने जब आकर खुदाई की तो वहां से माता की मूर्ति निकली। इसके बाद मूर्ति को दूध से स्नान करवाने के बाद स्थापित कर दी गई। 1812 में सरदार जोध सिंह रामगढि़या ने मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पिडी स्थापित की। मान्यता है कि माता की गढ़दीवाला शहर पर बहुत कृपा है।

सभी मुरादें पूरी होने के साथ कष्ट होते हैं दूर

मंदिर में माता महिषासुर मर्दिनी के साथ साथ भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मंदिर में आकर नतमस्तक होता है उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं, उसके सारे कष्ट दूर होते हैं। आज भी दूर दूर से श्रद्धालु मंदिर में आकर नतमस्तक होते हैं और मनचाही मुरादें पाते हैं।

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