सरकारी स्कूलों में चौकीदारों की दरकार, सो रही सरकार

होशियारपुर प्रदेश के सरकारी स्कूलों को चाहे सरकार मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के नाम पर करोड़ों रुपये जारी कर रही है। मगर इन सबके बीच प्रदेश के स्कूलों में स्कूलों की निगरानी करने वाले स्टाफ की कमी को पूरा नहीं किया जा रहा है। अगर जिले की बात की जाए तो यहां 1222 प्राइमरी स्कूल तथा 222 मिडल स्कूल हैं और इनमें न तो चौकीदार और न ही सफाईसेवक का पद है। इन स्कूलों में अध्यापकों को ही अपने संसाधनों द्वारा सफाई की व्यवस्था करनी पड़ती है तथा घंटी बजाने के लिए भी किसी का सहारा लेना पड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 10:57 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 10:57 PM (IST)
सरकारी स्कूलों में चौकीदारों की दरकार, सो रही सरकार
सरकारी स्कूलों में चौकीदारों की दरकार, सो रही सरकार

जागरण टीम, होशियारपुर

प्रदेश के सरकारी स्कूलों को चाहे सरकार मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के नाम पर करोड़ों रुपये जारी कर रही है। मगर, इन सबके बीच प्रदेश के स्कूलों में स्कूलों की निगरानी करने वाले स्टाफ की कमी को पूरा नहीं किया जा रहा है। अगर जिले की बात की जाए, तो यहां 1222 प्राइमरी स्कूल तथा 222 मिडल स्कूल हैं और इनमें न तो चौकीदार और न ही सफाईसेवक का पद है। इन स्कूलों में अध्यापकों को ही अपने संसाधनों द्वारा सफाई की व्यवस्था करनी पड़ती है तथा घंटी बजाने के लिए भी किसी का सहारा लेना पड़ता है। कई मिडल स्कूलों में सेवादार कम चौकीदार की पोस्ट होती है, लेकिन प्रापर चौकीदार की पोस्ट न होने से स्कूलों की सुरक्षा राम भरोसे रहती है। प्राइमरी स्कूलों को तो स्कूल समय के बाद जो ताला लगता है, वह अगले दिन अध्यापकों द्वारा ही खोला जाता है । ऐसे में 16 घंटे के करीब ये स्कूल भगवान भरोसे ही रहते हैं। अगर कहीं कोई चोरी की घटना हो जाती है, तो उसके लिए भी अक्सर अध्यापकों को अधिकारियों को जवाब देना पड़ता है।

जहां तक सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बात है, तो जिले में 230 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। इनमें भी अधिकतर स्कूलों में चौकीदार के पद खाली हैं। कई स्कूलों के अध्यापकों द्वारा या यूं कहें कि स्कूलों के प्रमुख द्वारा अपनी जेब से पैसा इकट्ठा करके पार्टटाइम चौकीदार की व्यवस्था की गई है। ऐसे में चंद पैसों के लिए कैसी चौकीदारी होती होगी, इसका अंदाजा भी लगाया जा सकता है। प्राइमरी स्कूलों में तो सेवादार की पोस्ट भी नहीं होती, इसलिए अध्यापकों को या तो खुद घंटी बजाने पड़ती हैं या फिर यह काम बच्चों से लिया जाता है। ऐसे में जब चाहे घंटी बजा दी जाती है, जब चाहे छुट्टी कर दी जाती है। अध्यापक को समय का पाबंद बनाया जाता है, लेकिन पोस्ट देने के नाम पर सरकार चुप्पी साध लेती है।

अगर सभी स्कूलों में चौकीदार व सेवादार की पोस्ट दी जाए, तो ऐसे में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा तथा स्कूलों में पड़े कीमती सामान की सुरक्षा भी की जा सकेगी। मगर, प्रश्न वही है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे।

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जल्द बनाएंगे प्लान : एडीसी

एडीसी अमित पंचाल का कहना है कि समय-समय पर बैठक कर शिक्षा प्रबंधों का जायजा लिया जाता है। इस बारे में भी बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर जल्द प्लान बनाकर ठोस कदम उठाया जाएगा, ताकि स्कूल में बच्चे व सामान सुरक्षित रहे।

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