केशोपुर छंब में पिछले साल से नौ हजार कम आए विदेशी परिदे

केशोपुर छंब में विदेशी पक्षियों की दो दिन गणना की गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 09:00 AM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 09:00 AM (IST)
केशोपुर छंब में पिछले साल से नौ हजार कम आए विदेशी परिदे
केशोपुर छंब में पिछले साल से नौ हजार कम आए विदेशी परिदे

राजिदर कुमार, गुरदासपुर

केशोपुर छंब में विदेशी पक्षियों की दो दिन गणना की गई। इस वर्ष करीब नौ हजार पक्षी कम पहुंचे। हालांकि वन्य जीव विभाग द्वारा पक्षियों के कम पहुंचने का कारण मौसम में बदलाव बताया गया है जबकि बर्ड फ्लू बीमारी भी एक बड़ा कारण है। वन्य जीव विभाग के मुताबिक साल 2021 में 13 हजार पक्षी ही पहुंचे हैं। जबकि पिछले साल 22080 पक्षी केशोपुर छंब में आए थे। गणना करने पहुंची टीम में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया से गीतांजली.पंजाब बडर्स क्लब चंडीगढ़ से रीमा ढिल्लों,अमनदीप सिंह, नवजीत सिंह और जागृति संस्थान रोपड़ से प्रभात भट्टी गणना करने के लिए केशोपुर छंब में पहुंचे। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया की मुख्य अधिकारी गीतांजली ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण विदेशी परिदों ने कई हजार किलोमीटर का सफर तय करने की बजाए अपने देश के आसपास के एरिया में ही माइग्रेशन की। उधर, डीएफओ वन्य जीव विभाग राजेश महाजन के मुताबिक फरवरी के अंत तक छंब के आसपास एरिया में शिकारियों पर नजर रखने के लिए विभाग की टीमें तैनात रहेगी।

गौरतलब है कि हर साल ठंड के समय यूरोपियन देशों से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी केशोपुर छंब का रूख करते हैं। यहां आने वाले इन पक्षियों के प्रजाति के आधार पर गिनती की जाती है। वन्य जीव विभाग पक्षी गणना के कार्य को हर साल संचालित करता है। इसके साथ ही पक्षियों में बर्डफ्लू न फैले इसके लिए भी पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं। इन प्रजातियों के पक्षी पहुंचे

तीन एकड़ भूमि में फैले केशोपुर छंब में इस साल अधिकतर संख्या में कूटस, गर्डवाल, कामन टेल, पिनटेल व इंडियन मोरहैन बढ़ी संख्या में पहुंचे हैं। इसके अलावा नार्थन लैपविग, पेटिड स्टार्क, वूली नेकड़ स्टार्क, सारस क्रेन, स्टैपी ईगल, पैलिड हैरियर, ग्रेटर स्पोटिड ईगल आए हैं। कैसे की जाती है पक्षियों की गिनती

विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पक्षियों गिनती में प्रोटोकॉल होते हैं। छंब को पांच हिस्से में बांटा जाता है और पांच टीमें अलग-अलग हिस्सों में गिनती का काम करती हैं। एक व्यक्ति हर बार एक निश्चित ट्रेल पर गिनती करता है, ताकि गिनती ज्यादा सटीक रहे। चूंकि मादा बत्तख की पहचान मुश्किल होती है तो नर बत्तख की गिनती कर उसकी संख्या दोगुनी कर दी जाती है। एक क्षेत्र में दो लोग बाइनाकुलर और स्पॉटिग स्कोप से गिनती करते हैं। फिर दोनों की गिनती का औसत निकाल लिया जाता है। पक्षियों की प्रजाति और संख्या दर्ज की जाती है। लेकिन हर पक्षी को गिनना संभव नहीं होता। ये माना जाता है कि गिने गई पक्षियों की संख्या से 15 प्रतिशत अधिक या कम हो सकती हैं। मगर साल-दर-साल इस गिनती से पक्षियों की मौजूदगी या घट-बढ़ का रुझान पता चल जाता है। केशोपुर छंब में नहीं लगेंगे अमेरिकन कैमरे

पक्षियों को शिकारियों से बचाने के लिए विभाग द्वारा पठानकोट के कथलौर सेंक्चुरी में चार अमेरिकन कैमरे लगवाए गए हैं। हालांकि गुरदासपुर की केशोपुर छंब में भी अमेरिकन कैमरे लगाने की बात कही जा रही थी। डीएफओ राजेश महाजन ने बताया कि केशोपुर छंब में अमेरिकन कैमरे नहीं लगेंगे। छंब में दिन रात पक्षियों को शिकारियों से बचाने के लिए दस टीमें लगाई गई हैं, जो विभिन्न समयों में अपनी ड्यूटी देंगी। 13 हजार संख्या थी पक्षियों की

डीएफओ राजेश महाजन का कहना है कि वन्य विभाग की ओर से दो दिन केशोपुर छंब में गणना की गई। इस दौरान पक्षियों की संख्या 13 हजार दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले नौ हजार पक्षियों की संख्या कम है। उन्होंने पक्षियों के कम पहुंचने का कारण मौसम में बदलाव बताया है।

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