22 साल पहले कटने से बचा था शहीदी चौक में फैला हुआ बोहड़ का पेड़
आज कल भीषण गर्मी में शहर के शहीदी चौक में फैले बोहड़ की ठंडी मीठी छाव रोजाना सैकड़ों राहगीरों का आसरा बनी हुई है।
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : आज कल भीषण गर्मी में शहर के शहीदी चौक में फैले बोहड़ की ठंडी मीठी छाव रोजाना सैकड़ों राहगीरों का आसरा बनी हुई है। इस विशाल पेड़ से जुड़ी एक रोचक जानकारी एकत्र हुई है। हुआ ऐसा कि 22 साल पहले महज दो साल के इस पौधे की जान बड़ी मुश्किल से बची थी। कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी दूर अंदेशी से इसे कटने से बचा लिया था।
इस बोहड़ के पेड़ की कहानी बताते हुए नगर सुधार ट्रस्ट गुरदासपुर के सेवानिवृत्त एक्सईएन अश्वनी शर्मा ने बताया कि 2000 में जिला परिषद गुरदासपुर की इस जगह पर शहीदी चौक का निर्माण करने का फैसला नगर सुधार ट्रस्ट ने किया था। पांच लाख रुपये की लागत से निर्मित किए जाने वाला यह शहीदी चौक जिला गुरदासपुर से संबंधित सैनिक जवानों व अफसरों की याद में बनाया जाना था, जोकि 1947 से लेकर 2000 तक देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। जिस समय शहीदी चौक की नींव खोदी जा रही थी तो उक्त बोहड़ का पौधा नींव में आ रहा था। ठेकेदार ने बोहड़ के इस पौधे को कटवाने के लिए आदमी बुला लिए थे। उस समय नगर सुधार ट्रस्ट गुरदासपुर के कार्यसाधक अधिकारी ज्ञानी गुरदर्शन सिंह मौके पर आ गए। ज्ञानी पर्यावरण प्रेमी थी। उन्होंने उस समय पूरी बात सुनकर कहा कि बोहड़ का यह पौधा किसी कीमत पर नहीं काटा जाएगा। एक्सईयन शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने और कार्यसाधक अधिकारी ज्ञानी ने बोहड़ के इस पेड़ को कटने नहीं दिया तो यह उस समय दो साल का था। आज 20 साल के बाद 22 साल का जवान होकर पूरे चौक में फैला हुआ है। इतना ही नहीं, इसके आसपास कुछ पेड़ नगर सुधार ट्रस्ट व नगर कौंसिल ने लगाए है, लेकिन पीपल के एक पेड़ सहित कई पेड़ अपने आप उगे हैं। अब यह जगह किसी छोटे जंगल का माडल लगती है। बोहड़ की टहनियों ने पूरी सड़क अपनी चपेट में ली हुई है। पूरा दिन कई कारों व गाड़ियां गर्मी से बचाव के लिए इसकी ठंडी छाया में पार्क की जाती है और लोग इनकी छाया में बैठते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिस तरह बोहड़ का यह पेड़ लोगों को पेड़ न काटने और अन्य पेड़ लगाने का संदेश दे रहा हो।