ड्रैगन डोर पर नहीं चल रहा प्रशासन का जोर, बेखौफ हो रही बिक्री

फिरोजपुर : ड्रैगेन डोर पर प्रतिबंध जिला प्रशासन की ओर से 2011 से लगाया गया है। लेकिन बंसत पंचमी नजदीक आते ही चायनीज डोरों की भरमार हो गई है। दुकानदार पतंगों की आड़ में चाइनीज डोर (गट्टू) का खतरनाक धंधा कर रहे हैं, जो आम लोगों की जान के लिए बहुत घातक है। जिला प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद ड्रैगन डोर पर पाबंदी नहीं लग पाई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jan 2019 10:54 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jan 2019 10:54 PM (IST)
ड्रैगन डोर पर नहीं चल रहा प्रशासन का जोर, बेखौफ हो रही बिक्री
ड्रैगन डोर पर नहीं चल रहा प्रशासन का जोर, बेखौफ हो रही बिक्री

जासं, फिरोजपुर : ड्रैगेन डोर पर प्रतिबंध जिला प्रशासन की ओर से 2011 से लगाया गया है। लेकिन बंसत पंचमी नजदीक आते ही चायनीज डोरों की भरमार हो गई है। दुकानदार पतंगों की आड़ में चाइनीज डोर (गट्टू) का खतरनाक धंधा कर रहे हैं, जो आम लोगों की जान के लिए बहुत घातक है। जिला प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद ड्रैगन डोर पर पाबंदी नहीं लग पाई है। बच्चों, युवाओं में चायनीज डोर कि डिमांड देखते हुए दुकानदारों ने इसका रेट 280 प्रति गट्टू कर दिया है, जो कि बंसत पंचमी का पर्व नजदीक आने पर इसमें और बढ़ोतरी होगी। गत वर्ष बंसत पंचमी के दिन कुछ हिस्सों में यह साढे छह सौ रुपये तक यह बिका था। इस बार दुकानदारों द्वारा बडी मात्रा में स्टोरेज किया गया था। शुरू में स्टोरेज शहर के बाहरी हिस्सों में किया गया था, परंतु पुलिस के ढीले रुख को देखते हुए अब शहरी हिस्सों में भी दुकानों में रखकर दुकानदार ग्राहकों के आने पर छुपाकर बेंच रहे है। दुकानदार हरीश ने बताया कि वह पिछले 22 सालों से पतंग का कारोबार कर रहे है, परंतु अब साधारण मांझों का जमाना ही नहीं रहा, शायद ही कोई उन डोरों को खरीदे, उनकी मजबूरी हो गई चायनीज डोर बेंचने के, न चाहते हुए भी लोगों की मांग के अनुरूप उन्हें यह डोर बेचनी पड़ रही है। डिप्टी कमिश्नर रामवीर ने कहा कि चायनीज डोर कि बिक्री व स्टॉकेज पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। फिर भी यदि किसी को चायनीज डोर कि बिक्री करते हुए पकडा जाएगा तो नियम के तहत उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

आसानी से कटती नहीं ये डोर

ड्रैगन डोर खून की प्यासी है। बावजूद इसके ड्रैगन डोर बच्चों की पहली पसंद बन चुकी है। चीन से निर्मित चाइनीज ड्रैगन डोर लोगों के लिए पहली पसंद इसलिए भी है, क्योंकि यह डोर पतंग उड़ाते समय असानी से नहीं कटती। यह डोर चाकू की तरह धारदार होती है। इसके इस्तेमाल के कारण कई लोग बुरी तरह से घायल हो चुके हैं। इसके निशान आज भी इसकी चपेट में आ चुके लोगों के शरीर पर मौजूद हैं।

बिजली सप्लाई में भी बाधा खड़ी करती है चायनीज डोर

चाइनीज डोर में कंडक्टर पर पड़ी धुंध के पानी से करंट पास होता है और उसे जब निकाला जाता है, तो तारों का आपस में भिड़ने से शॉर्ट सर्किल होने से बिजली की सप्लाई प्रभावित होती है। ऐसे में यह चाइनीज डोर जितनी पशु-पक्षियों और मनुष्यों के लिए घातक है, ठीक उतनी ही यह बिजली के करंट के लिए भी नुकसानदायक है।

पक्षी ही नहीं इंसान भी बने हो रहे शिकार

दशकों से पतंगबाजी धागे की डोर के साथ होती है। लोकल स्तर पर मांझा बनाने वाले लोग बल्ब या ट्यूबलाइट का कांच बारीक करके सलोशन में मिलाकर धागे पर लगा लेते हैं, जबकि चायनीज डोर ¨सथेटिक-प्लास्टिक मेटीरियल से बनी है। इसमें नाइलॉन भी मिक्स होता है। यह चीनी मांझा न गलता है, न इसे आसानी से तोड़ा जा सकता है। देश भर में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं कि इस खतरनाक डोर के कारण लोगों की जान तक चली गई। यही नहीं कई पक्षी भी इसका शिकार बने हैं।

¨सथेटिक डोर को पर्यावरण कानून के तहत घोषित किया है खतरनाक प्रोडक्ट

सरकार ने 1985 के एनवायरमेंट प्रोडक्शन रूल्स के तहत चीनी मांझा को खतरनाक चीज का दर्जा दिया है।

फैक्ट्रियां में तैयार होने वाली चायनीज डोर पर बैन लगा दिया गया है। प्रदेश के साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरनमेंट कंजरवेशन डिपार्टमेंट ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी कौंसिल को चीनी मांझे के वातावरण पर असर की रिपोर्ट बनाने को कहा था। इसमें साइंस एंड टेक्नोलॉजी के माहिरों ने कहा कि चीनी मांझे इंसान, मिट्टी, पशु-पक्षियों सहित समूचे ईको सिस्टम पर बुरा प्रभाव डालता है। इसके तहत चीनी मांझा की बिक्री, स्टोरेज गैरकानूनी है। सरकार ने जारी नोटिफिकेशन में ये भी कहा है कि ¨सथेटिक, प्लास्टिक, नाइलॉन, मेटल व लेइंग मैटीरियल से बनी डोर की मेनुफेक्च¨रग गैरकानूनी है।

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