शहीदों को श्रंद्धाजलि अर्पित करेंगे कैबिनेट मंत्री मनप्रीत बादल

जागरण संवाददाता : हुसैनीवाला बार्डर (फिरोजपुर) 23 मार्च को शहीदों की समाधि स्थल पर हो र

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Mar 2018 03:05 AM (IST) Updated:Fri, 23 Mar 2018 03:05 AM (IST)
शहीदों को श्रंद्धाजलि अर्पित करेंगे कैबिनेट मंत्री मनप्रीत बादल
शहीदों को श्रंद्धाजलि अर्पित करेंगे कैबिनेट मंत्री मनप्रीत बादल

जागरण संवाददाता : हुसैनीवाला बार्डर (फिरोजपुर) 23 मार्च को शहीदों की समाधि स्थल पर हो रहे राज्य स्तरीय श्रद्धांजलि समागम के मुख्य मेहमान कैबिनेट मंत्री मनप्रीत बादल होंगे। वह साढ़े दस बजे शहीदों को राज्य सरकार की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद वह रैली को भी संबोधित करेंगे। शहीद भगत ¨सह, सुखदेव व राजगुरु के शहादत दिवस पर प्रति वर्ष हुसैनीवाला बार्डर स्थित समाधि स्थल पर राज्य स्तरीय श्रद्धांजलि समागम होता है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे, जबकि 2016 में उपमुख्यमंत्री सुखवीर ¨सह बादल और पिछले दो बार से कैबिनेट मंत्री मनप्रीत ¨सह बादल पहुंच रहे है। बार्डर पर होने वाले समागम को देखते हुए राज्य पुलिस के साथ बीएसएफ व अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा व्यापक तैयारियां की गई हैं। शहीदी दिवस पर फिरोजपुर से हुसैनीवाला बार्डर तक देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु आसानी से पहुंच सके इसके लिए रेलवे द्वारा छह जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जो कि सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक चलेगी, जबकि पंजाब रोडवेज द्वारा डीसी मॉडल स्कूल फिरोजपुर कैंट व सिटी बस स्टैंड से हुसैनीवाला हेड के पास बनाए गए अस्थाई बस स्टैंड तक सुबह से शाम तक बसें चलाई जाएंगी। मेले में हजारों की तादात में श्रद्धालुओं के पहुंचने की आशा को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सभी तरह की तैयारियां की गई है।

24 मार्च की जगह शहीदों को अंग्रेजों ने 23 मार्च को ही दे थी फांसी

23 मार्च, 1931 की रात भगत ¨सह, सुखदेव और राजगुरु की देशभक्ति को अपराध की संज्ञा देकर अंग्रेजी हुकुमत ने फांसी पर लटका दिया गया था। कहा जाता है कि मृत्युदंड के लिए 24 मार्च की सुबह की तारीख तय की गई थी, लेकिन किसी बड़े जनाक्रोश की आशंका से डरी हुई अंग्रेज सरकार ने 23 मार्च की रात्रि को ही इन क्रांतिवीरों की जीवनलीला समाप्त कर दी। रात के अंधेरे में ही हुसैनीवाला बार्डर के समीप सतलुज के किनारे इनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। इसी स्थल पर अमर शहीदों की समाधि स्थल है। 'लाहौर षड़यंत्र' के मुकदमे में भगत ¨सह, राजगुरु व सुखदेव को फांसी की सजा दी गई थी उस समय भगत ¨सह की आयु 24 वर्ष थी। 23 मार्च 1931 की रात में उन्होंने हंसते-हंसते 'इनक्लाब जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया।

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