सिख सैनिकों के अतुल्य पराक्रम की मिसाल है सारागढ़ी का युद्ध

विश्व की महानतम लड़ाइयों में शुमार सारागढ़ी के युद्ध में सिख रेजीमेंट के जवानों ने 600 अफगानों को मौत के घाट उतारा था। इसमें 21 जवान शहीद हुए थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 11 Sep 2017 08:51 PM (IST) Updated:Mon, 11 Sep 2017 08:51 PM (IST)
सिख सैनिकों के अतुल्य पराक्रम की मिसाल है सारागढ़ी का युद्ध
सिख सैनिकों के अतुल्य पराक्रम की मिसाल है सारागढ़ी का युद्ध

जेएनएन,  फिरोजपुर। इतिहास के पन्नों में 12 सितंबर, 1897 की तारीख सिखों के अतुल्य पराक्रम की पराकाष्ठा के रूप में दर्ज है। ब्रिटिश-एंग्लो सेना व अफगान सेना के बीच लड़ी यह लड़ाई 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' के नाम से मशहूर है। इसे विश्व की महानतम लड़ाइयों में शुमार किया गया है।

इस युद्ध में सिख रेजीमेंट के 21 जवान अफगानों की हजारों की फौज से भिड़ गए थे और उन्होंने करीब 600 अफगानों को मौत के घाट उतारकर शहादत पाई। इस ऐतिहासिक वीरगाथा की यादें मंगलवार को एक बार फिर ताजा होने जा रही हैं। यहां राज्य स्तरीय समारोह में हजारों लोग शहीदों को नमन करेंगे।

अफगानिस्तान के गुलिस्तान और लोखार्ट नामक किले महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाए थे। इस पर उस समय अंग्रेजों का कब्जा था और यह नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट के अंतर्गत था। इन किलों में संचार के लिए अंग्रेजों ने सारागढ़ी नाम की एक सुरक्षा चौकी बनाई थी, जहां पर सिख रेजीमेंट के 21 जवान तैनात थे। फिरोजपुर गुरुद्वारे पर अंकित व प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार अगस्त के अंतिम हफ्ते से 11 सितंबर के बीच विद्रोहियों ने किले पर दर्जनों बार हमले किए।

12 सितंबर की सुबह करीब 12 हजार अफगान पश्तूनों ने लोखार्ट के किले को चारों ओर से घेर लिया। हमले की शुरुआत होते ही सिग्नल इंचार्ज गुरुमुख सिंह ने ले. कर्नल जॉन होफ्टन को जानकारी दी, लेकिन किले तक तुरंत सहायता पहुंचाना काफी मुश्किल था। लांस नायक लाभ सिंह और भगवान सिंह ने गोली चलाना शुरू कर दिया।

हजारों की संख्या में आए पश्तूनों की गोली का पहला शिकार बने भगवान सिंह। हवलदार ईशर सिंह ने नेतृत्व संभालते हुए अपनी टोली के साथ जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल का नारा लगाया और दुश्मन पर टूट पड़े। पश्तूनों से लड़ते-लड़ते सुबह से रात हो गई और अंत में 21 रणबांकुरे शहीद हो गए। इन रणबांकुरों ने करीब 600 अफगान मार गिराए। हालांकि कुछ जगह यह आंकड़े 1400 भी दर्ज हैं।

ब्रिटिश संसद ने मरणोपरांत दिया था मेरिट ऑफ ऑडर सम्मान

अंग्रेजी हुकुमत के दौरान चौथी सिख रेजीमेंट सारागढ़ी चौकी की सुरक्षा में तैनात थी। युद्ध में शहादत पाने वाले 21 वीरों की बहादुरी को ब्रिटेन की संसद में सलाम किया गया था। इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया, जो परमवीर चक्र के बराबर का सम्मान था। युद्ध में शहीद सिख सैनिकों का संबंध फिरोजपुर व अमृतसर से था,जिसे देखते हुए ब्रिटिश सेना ने दोनों जगह मेमोरियल बनाए।

सिख वीर योद्धाओं के नाम

1. हवलदार ईशर सिंह
2. नायक लाल सिंह
3. नायक चंदा सिंह
4. लांस नायक सुंदर सिंह
5. लांस नायक राम सिंह
6. सिपाही उत्तम सिंह
7. सिपाही साहिब सिंह
8. सिपाही हीरा सिंह
9. सिपाही दया
10. सिपाही जीवन सिंह
11. सिपाही भोला सिंह
12. सिपाही नारायण सिंह
13. सिपाही गुरमुख सिंह
14. सिपाही जीवन सिंह
15. सिपाही गुरमुख सिंह
16. सिपाही राम सिंह
17. सिपाही भगवान सिंह
18. सिपाही भगवान सिंह
19. सिपाही बूटा सिंह
20. सिपाही जीव सिंह
21. सिपाही नंद सिंह।

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