खुद की तकलीफ भूल दूसरों का हौसला बढ़ा रही नेत्रहीनों की टीम, महाराष्‍ट् से बॉर्डर पर पहुंची

महाराष्‍ट्र के युवाओं की खास युवाओं की यह टीम बेहद अनोखी है। ये लोग अपनी तकलीफ भूलकर दूसरों का हौसला बढ़ा रही है। टीम पंजाब में फाजिल्‍का बॉर्डर पर पहुंची व सीमा पर जवानों से मिली।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 30 Oct 2019 10:27 AM (IST) Updated:Wed, 30 Oct 2019 10:37 AM (IST)
खुद की तकलीफ भूल दूसरों का हौसला बढ़ा रही नेत्रहीनों की टीम, महाराष्‍ट् से बॉर्डर पर पहुंची
खुद की तकलीफ भूल दूसरों का हौसला बढ़ा रही नेत्रहीनों की टीम, महाराष्‍ट् से बॉर्डर पर पहुंची

फाजिल्का, जेएनएन। महराष्‍ट्र के युवाऔं की यह टीम बेहद खास हैं और सबसे खास है उनका जज्‍बा व हौसला। नेत्रहीनों की यह टीम अपनी तकलीफ और दर्द का भूलकर दूसरों को जीने की राह दिखाते हैं। ये युवा सीमा पर पहुंचकर देश के रक्षक हमारे जवानों का हौसला भी बढ़ाते हैं। नेत्रहीनों की यह टीम हर दीवाली व अन्य त्योहारों पर देश के विभिन्न बॉर्डरों पर पहुंचकर बीएसएफ जवानों का हौसला बढ़ाती है।

हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र की प्रेरणा एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड टीम की। यह टीम भैया दूज मनाने के लिए फाजिल्का बॉर्डर पहुंची। इस टीम ने मंगलवार शाम को रिट्रीट सेरेमनी से पहले बीएसएफ जवानों को तिलक लगाया और उनकी लंबी आयु की कामना की।

टीम में शामिल महाराष्ट्र के सतीश नवले ने बताया कि वह 16 साल से प्रेरणा एसोसिएशन इस टीम के साथ जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि 17वीं बार त्योहार मनाने के लिए टीम फाजिल्का की सादकी चौकी पर पहुंची है। सतीश ने फाजिल्का आने के उद्देश्य के बारे में कहा कि बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ जवान त्योहारों पर भी अपने घर नहीं जा सकते। इनकी बदौलत हम अपने घरों में दीपावली मनाते हैं, उनके साथ जाकर दीपावली मनाना ही उनकी टीम का मुख्य लक्ष्य है। इससे बीएसएफ जवानों को जहां प्रेरणा मिलती है, वहीं उन्हें भी इससे एक अलग खुशी महसूस होती है।

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टीम में ये सदस्य हैं शामिल

टीम में सतीश नवले, संजय, हनुमंत जोशी, प्रवीण काचवा, कुलदीपक प्रसाद, उज्ज्वला स्योणी, नीकिता व पूनम शामिल हैं। उनके सहयोग के लिए टीम के साथ राङ्क्षजद्र ककड़े, रोहीदास नवले, सुप्रिया व सुष्मिता शामिल हैं। सभी टीम सदस्य महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों से हैं। सतीश नवले ने बताया कि वह 31 अक्तूबर की शाम तक फाजिल्का में ही रहेंगे।

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नेत्रदान के लिए प्रोत्साहित कर रही टीम

टीम सदस्य सतीश नवले ने बताया कि एसोसिएशन ने महाराष्ट्र में नेत्रहीनों के लिए एक कंप्यूटर सेंटर खोला हैं, जहां 50 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सेंटर को प्रवीण काचवा संभाल रहे हैं। संस्था द्वारा लोगों को नेत्रदान करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। उनके प्रेरित करने का खास तरीका यह है कि वह जहां भी लोगों को प्रेरित करते हैं, वहां यह जरूर कहते हैं कि नेत्रदान केवल फार्म भरने तक ही सीमित न रहें। मरने के बाद नेत्रदान से दो आंखों में उजाला किया जा सकता है।

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