दो साल से पराली न जलाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा सरबजीत

जलालाबाद के अधीन आते गांव रत्ता खेड़ा का किसान सरबजीत सिंह पिछले कई सालों से खेती कर रहा है। साल 201

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 04:42 PM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 05:59 AM (IST)
दो साल से पराली न जलाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा सरबजीत
दो साल से पराली न जलाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा सरबजीत

संवाद सूत्र, जलालाबाद

जलालाबाद के अधीन आते गांव रत्ता खेड़ा का किसान सरबजीत सिंह पिछले कई सालों से खेती कर रहा है। साल 2018 से पहले किसान सरबजीत सिंह भी धान की पराली और गेहूं की नाड़ को आग लगाता था। लेकिन पिछले 2 सालों से किसान ने अपनी सोच को बदलते पराली को आग लगाने से गुरेज करते इसकी संभाल की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया।

किसान सरबजीत सिंह के पास अपनी 50 एकड़ जमीन है जिसमें वह 20 एकड़ में नरमे की खेती करता है और बाकी 30 एकड़ जमीन में रिवायती फसलें गेहूं और धान की खेती करता है। किसान बताता है कि पराली को आग न लगाने का मन उसने खेतीबाड़ी विभाग द्वारा लगाए जाते जागरूकता कैंपों से प्रभावित होकर बनाया था। किसान का कहना है कि साल 2018 में उसने पराली को बिना आग लगाए गेहूं की बिजाई हैप्पी सिडर के साथ की थी और बढि़या झाड़ प्राप्त किया था। इसके अलावा साल 2019 में खड़ी पराली में मलचर मारकर फिर पलो का प्रयोग करके आम ड्रिल के साथ गेहूं की बिजाई की। इस बार 30 एकड़ में तवियां मारकर बिना आग लगाकर सुपर सीडर की मदद से बिजाई की है। उसने बताया कि सुपर सीडर गांव में स्थित सोसायटी से किराए पर लिया गया था। उसने बताया कि पिछले 2 सालों से पराली को आग न लगा कर उसने वातावरण की शुद्धता को बरकरार रखने में योगदान दिया है। किसान ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा सब्सिडी पर मुहैया करवाए जाते आधुनिक कृषि यंत्रों के द्वारा पराली को बिना आग लगाए फसलों की बिजाई की जाए तो फसल का झाड़ तो अधिक प्राप्त होता ही है बल्कि जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है। प्रगतिशील किसान ने अन्य किसानों को भी अपील की है कि पराली को आग न लगा कर वातावरण और अपने आसपास को बीमारी मुक्त रख सकें।

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