पराली न जलाने के अभियान से विद्यार्थियों को भी जोड़ा

माता गुजरी कॉलेज में जागरुकता सेमिनार करवाया गया। इसमें विद्यार्थियों को पराली को आग लगाने से पर्यावरण और मानवीय सेहत पर पड़ते बुरे प्रभावों के बारे में बताया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Oct 2018 05:54 PM (IST) Updated:Mon, 29 Oct 2018 05:54 PM (IST)
पराली न जलाने के अभियान से विद्यार्थियों को भी जोड़ा
पराली न जलाने के अभियान से विद्यार्थियों को भी जोड़ा

जागरण संवाददाता, फतेहगढ़ साहिब

माता गुजरी कॉलेज में जागरुकता सेमिनार करवाया गया। इसमें विद्यार्थियों को पराली को आग लगाने से पर्यावरण और मानवीय सेहत पर पड़ते बुरे प्रभावों के बारे में बताया गया। डॉ. रामपाल ने बताया कि पराली को आग लगाने से न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि इसका धुआं कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है। उन्होंने कहा कि पराली को आग लगाने की जगह जमीन में ही जोतने के साथ धरती की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। पराली की संभाल के लिए उपलब्ध खेती मशीनरी जैसे कि हैपीसीडर, जीरोटरिल, मलचर और मशीनरी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि इस मुहिम में शामिल होकर पराली की संभाल के लिए अधिक से अधिक किसानों को खेती मशीनरी का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करें।

इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के सहायक प्रोफेसर पौध सुरक्षा डॉ. ऋतु वर्मा ने पराली के प्रबंधन संबंधित चल रहे प्रोजेक्टों की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। सहायक प्रोफेसर पशु विज्ञान डॉ. अजय ¨सह ने पशु पालन में पराली के प्रयोग के बारे में तकनीकी जानकारी दी । सहायक प्रोफेसर डॉ. मनीषा भाटिया ने कहा कि पराली की संभाल के अभियान को नौजवानों के सहयोग से ही कामयाब बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि किसानों को सब्सिडी और मिलने वाली खेती मशीनरी की भी जानकारी दी जा रही है। इस मौके पर डॉ. मनीष कुमार और कॉलेज के लेक्चरर जसवीर ¨सह के अलावा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे ।

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