70 साल पहले बिछड़ा था परिवार, मिला महज 21 किलोमीटर दूर

भारत विभाजन के समय बिछड़े एक परिवार के सदस्‍य अाखिरकार मिल गए। मिले तो महज 21 किलोमीटर की दूरी पर। यह 21 किमी की दूरी तय करने में 70 साल लग गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 30 Apr 2018 12:48 PM (IST) Updated:Tue, 01 May 2018 08:40 PM (IST)
70 साल पहले बिछड़ा था परिवार, मिला महज 21 किलोमीटर दूर
70 साल पहले बिछड़ा था परिवार, मिला महज 21 किलोमीटर दूर

फतेहगढ़ साहिब, [प्रदीप शाही]। भारत-पाक विभाजन में अपनों से बिछड़ जाने का दर्द आजादी के 70 साल बाद भी हजारों परिवारों के दिलों में टीस बनकर उभरता है। हजारों लोग सगे संबंधियों से मुलाकात की उम्मीद में दुनिया को भी अलविदा कह गए और कुछ परिवार आज भी यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद विभाजन का दर्द जीवन के अंतिम पड़ाव में खुशी में बदल जाए। एक एेसी परिवार काे यह खुशी नसीब हुई। 70 साल पहले बिछड़ा यह परिवार के सदस्‍य महज 21 किलोमीटर की दूर मिला। इसमें उनकी मदद की हरिद्वार के पंडितों आैर फेसबुक ने ।

हरिद्वार के पंडितों से वशंजों का इतिहास पता कर फेसबुक पर किया शेयर

उम्मीद पर दुनिया कायम है की कहावत को सही साबित करने वाला यह परिवार है फतेहगढ़ साहिब के गांव खानपुर सोढियां के हरपाल सिंह सोढ़ी का। हरपाल सोढ़ी ने विभाजन में बिछड़े अपने परिवार के सदस्यों को सालों बाद ढूंढ निकाला। हैरानी की बात है कि 70 साल बाद खानपुर सोढियां के इस परिवार को उनके बिछड़े अपने अपने मात्र 21 किलोमीटर दूर खन्ना में मिले। यह 21 किलोमीटर की दूरी जो वह 70 साल में तय नहीं कर पाए, वह उन्होंने हरिद्वार के पंडितों और फेसबुक की मदद से तय कर ली।

विभाजन में बिछुड़ गया था लाहौर में रहने वाले चार भाइयों का परिवार

सेहत विभाग में कार्यरत हरपाल सोढी बताते हैं कि विभाजन से पहले उनका संयुक्त परिवार लाहौर (पाकिस्तान) के आसल गुरु में एक ही हवेली में रहता था। विभाजन में परदादा बाबा कृष्ण सिंह और उनके तीन भाई बाबा जीत सिंह, बाबा बघेल सिंह व बाबा कृष्ण सिंह बिछड़ गए। परदादा, दादा और पिता ने खानपुर सोढियां में डेरा लगा लिया। उनके बुजुर्ग हमेशा हवेली में बिताए पलों को याद कर दुखी होते थे।

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हरपाल ने बुजुर्गों के दर्द को कम करने की ठानी। हरिद्वार पहुंचकर पुरोहित भवानी दास, देवकी नंदन से उनके वंश की पूरी जानकारी हासिल की। इस जानकारी और लाहौर में परदादा व उनके भाइयों के बिछड़ने की जानकारी उन्‍होंने फेसबुक पर शेयर कर दी।

जब मिले तो बचपन की यादों में खो गए बुजुर्ग

फेसबुक पर शेयर की जानकारी के कुछ दिन बाद खन्ना से कुछ लोगों ने हरपाल सोढी से संपर्क किया। वह परिवार उनसे मुलाकात करने उनके घर आया। इसके साथ ही 70 साल पहले बिछड़े परिवार के सदस्‍य फिर मिल गए। बुजुर्गों ने बचपन में हवेली में बिताए पलों की बातें शुरू कर दीं और यादों में खो गए।

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गुरु रामदास जी के वंशज होने का दावा

हरपाल सोढ़ी का दावा है कि उनका परिवार चौथे गुरु राम दास जी के वंशज हैं। हरिद्वार के पंडितों ने अपने संजो कर रखे इतिहास से उन्हें यह जानकारी दी। यह उनके लिए सम्मान की बात है। इतने वर्षों बाद बिछड़े परिवार से मिलना भी गुरु साहिब का ही आशीर्वाद है।

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