Union Budget 2020 पर सुखबीर की टिप्पणी को कैप्टन ने चापलूसी व बेशर्मी वाला बताया

Union Budget 2020 केंद्रीय बजट को किसान समर्थक और गरीब समर्थक बताने वाली सुखबीर बादल की टिप्पणी को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चापलूसी व बेशर्मी वाला बताया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 03 Feb 2020 05:04 PM (IST) Updated:Mon, 03 Feb 2020 09:08 PM (IST)
Union Budget 2020 पर सुखबीर की टिप्पणी को कैप्टन ने चापलूसी व बेशर्मी वाला बताया
Union Budget 2020 पर सुखबीर की टिप्पणी को कैप्टन ने चापलूसी व बेशर्मी वाला बताया

जेएनएन, चंडीगढ़। Union Budget 2020 : केंद्रीय बजट को किसान समर्थक और गरीब समर्थक बताने वाली सुखबीर बादल की टिप्पणी को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चापलूसी व बेशर्मी वाला बताया है। मुख्यमंत्री ने हैरानी जताई कि खेती माहिरों और किसान संगठनों ने बजट को ठुकरा दिया है, लेकिन सुखबीर को किसानी के लिए सकारात्मक पक्ष दिखा है। सत्ता के नशे में चूर भाजपा को किसानों की मुश्किलें क्या दिखाई देंगी, लेकिन शिअद अध्यक्ष भी सत्ताधारी पक्ष के प्यार में इतना खोए हुए हैं कि उनको भी इस आडंबरपूर्ण बजट में कुछ गलत नहीं दिखा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्य के तीन मंत्री होने के बावजूद भाजपा-अकाली गठजोड़ न सिर्फ पंजाब बल्कि देशभर में बड़े स्तर पर कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के लिए कर्ज राहत स्कीम सुरक्षित करने में असफल रहा है। कृषि सेक्टर के लिए 15 लाख करोड़ रुपये के बजट अलॉटमेंट की प्रशंसा करने वाले सुखबीर की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए कैप्टन ने पूछा कि अकाली नेता यह स्पष्ट करें कि वह कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए पिछले साल की अपेक्षा केवल 10 प्रतिशत की वृद्धि को पर्याप्त कैसे समझते हैं?

कैप्टन ने कहा इतने कम आवंटन से सुखबीर अगले दो सालों में किसानी की आमदनी को दोगुना होते हुए देखने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की प्रगति के बिना ग्रामीण खपत बढ़ने की कोई संभावना नहीं है। इससे आर्थिक विकास भी घटेगा। बजट में बिना एमएसपी वाली फसलों की खरीद यकीनी बनाने के लिए कुछ नहीं है। इससे गेहूं-धान का फसलीय चक्र नहीं टूटेगा। किसानों की आमदन बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में भूमि रहित किसानों को भी पूरी तरह अनदेखा किया गया है। पहले ही कमियों वाली फसलीय बीमा स्कीम को भी सुधारने की कोशिश नहीं की गई। रासायनिक खाद के लिए उत्साहपूर्वक स्कीम में बदलाव की आड़ में भारत सरकार डीबीटी, लाने की तैयारी कर रही है। इसका पंजाब पहले ही विरोध कर चुका है। इससे 25 लाख टन यूरिया के सालाना प्रयोग के लिए कागजी कार्यवाही का भार बढ़ेगा।

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