जिस काम को कभी बेटियों ने नहीं किया, इस लाडली ने कर दिखाया Chandigarh news

अक्षिता बताती हैं कि शुरू में यह काम पिता की मौत और घर की आर्थिक मजबूरी में करना पड़ा। लेकिन अब यही अच्छा लगता है।

By Edited By: Publish:Sat, 31 Aug 2019 09:00 PM (IST) Updated:Sun, 01 Sep 2019 03:14 PM (IST)
जिस काम को कभी बेटियों ने नहीं किया, इस लाडली ने कर दिखाया Chandigarh news
जिस काम को कभी बेटियों ने नहीं किया, इस लाडली ने कर दिखाया Chandigarh news

चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। बेटियां हर फील्ड में खुद को साबित कर नित नए इतिहास रच रही हैं। लीक से हटकर काम करना हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन बुलंद इरादों वाली बेटियां ऐसा ही कुछ हटकर करने की हिम्मत रखती हैं। हर सुबह चार बजे सेक्टर-22 मार्केट शोरूम बरामदे में अखबारों की दुनिया में खोई रहने वाली अक्षिता वशिष्ठ शहर की ऐसी ही एक खास बेटी है। सुबह 4.30 बजे से पुरुष हॉकरों के बीच काम करने वाली अक्षिता की हिम्मत और जज्बा दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। चंडीगढ़ में समाचारपत्र विक्रेता प्रोफेशन से जुड़ी अक्षिता अकेली लड़की है।

आर्थिक मजबूरी में शुरू किया था काम अब लगता है अच्छा
अक्षिता बताती हैं कि शुरू में यह काम पिता की मौत और घर की आर्थिक मजबूरी में करना पड़ा। लेकिन अब यही अच्छा लगता है। अक्षिता सेक्टर-22 शोरूम के बरामदे में सुबह 4.30 बजे पहुंच जाती हैं। उन्होंने बताया कि जब पिता थे तो वे सुबह सात बजे उठती थी लेकिन जिम्मेदारी ऐसी पड़ी कि अब बिना अलार्म के ही सुबह चार बजे से पहले नींद खुल जाती है। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती अक्षिता पंजाब यूनिवर्सिटी से एमकॉम और सीए इंटर कर चुकी हैं। लेकिन पिता की मौत के बाद उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़ उनके काम से जुड़ना पड़ा।

इतनी सुबह इतने सारे लोगों के बीच खुद को कितना असहज महसूस करती हैं?
अक्षिता ने कहा कि शुरू में कुछ दिन तो ऐसा परेशानी हुई, लेकिन अब तो हॉकर और दूसरे लोग उनकी काम में पूरी मदद करते हैं। पिता की मौत ने बदले हालात दो साल पहले पिता धर्मपाल वशिष्ठ की मौत के बाद अक्षिता की जिंदगी भी बदल गई। सुबह सात बजे उठने वाली अक्षिता अब चार बजे से पहले उठ जाती हैं। परिवार में सबसे बड़ी होने के कारण खुद ही पिता की समाचार एजेंसी के काम को संभालना पड़ा।

भावुक अक्षिता बताती हैं कि पिता के जाने के बाद पूरी परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। छोटे भाई परिक्षित और बहन अंकिता की पढ़ाई और मां कुमुद बाला के लिए यह काम जारी रखना पड़ा। शुरू में बहुत से लोगों ने इस काम को छोड़ने की सलाह दी लेकिन मैने पिता के काम को जारी रखने का फैसला लिया।


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