नींद में खर्राटे लेना पूरे परिवार को कर सकता है बीमार, जानें क्या है नुकसान

क्या आपके घर में कोई खर्राटे लेता है? अगर हां तो स्थिति गंभीर होने से पहले उनका इलाज शुरू करा दें क्योंकि एक व्यक्ति का खर्राटे लेना पूरे परिवार को बीमारियों की जद में पहुंचा सकता है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Sat, 16 Mar 2019 12:50 PM (IST) Updated:Sat, 16 Mar 2019 01:44 PM (IST)
नींद में खर्राटे लेना पूरे परिवार को कर सकता है बीमार, जानें क्या है नुकसान
नींद में खर्राटे लेना पूरे परिवार को कर सकता है बीमार, जानें क्या है नुकसान

चंडीगढ़, [वीणा तिवारी] क्या आपके घर में कोई खर्राटे लेता है? अगर हां तो स्थिति गंभीर होने से पहले उनका इलाज शुरू करा दें, क्योंकि एक व्यक्ति का खर्राटे लेना पूरे परिवार को बीमारियों की जद में पहुंचा सकता है। यह जानकारी World Sleep Day पर पीजीआइ ईएनटी डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों ने दी।

ईएनटी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. नरेश पांड्या ने बताया कि उनके यहां ऐसी शिकायतें आ रही हैं, जिसमें पति के खर्राटे लेने से पत्नी और बच्चों को नींद संबंधी समस्या होने लगी है। उनमें सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा जैसी परेशानी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि स्लिप एप्निया के गंभीर मरीजों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को खतरा

डॉक्टरों ने बताया कि महिलाओं की तुलना में पुरुष इस बीमारी से ज्यादा ग्रस्त हैं, लेकिन मेनोपॉज के बाद हार्मोनल चेंज के कारण महिलाओं में भी इसका प्रतिशत बढऩे लगता है। वहीं बढ़ते मोटापा के कारण अब बच्चे भी इस बीमारी की जद में तेजी से आ रहे हैं। पीजीआइ में ऐसे मरीजों के इलाज की व्यवस्था है। अगर बीमारी शुरुआती दौर में ही डाइग्नोस हो जाए तो उसे दवाओं और सीपैप की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए स्लिप लैब की मदद ली जाती है, लेकिन स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर सर्जरी करनी पड़ती है। इसके लिए सामान्य सर्जरी के साथ ही रोबोटिक सर्जरी की तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।

 ये लक्षण हैं तो हो जाइए सावधान

लगातार जोर से खर्राटे लेना, सांस लेने में रूकावट आना, बार-बार शौच जाना, बेचैनी भरी नींद, काम करते वक्त सो जाना, गाड़ी चलाते समय सो जाना, सुबह सिर दर्द होना, एकाग्रता में कमी आना, चिड़चिड़ापन।

 इन कारणों से आते हैं खर्राटे

डिपार्टमेंट के ही डॉ. संदीप के अनुसार खर्राटे आने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें मुख्य कारण मोटापा है। वहीं पतले व्यक्ति की तुलना में मोटे व्यक्ति में यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके साथ ही तालु में कोई परेशानी होने से भी यह समस्या हो सकती है। मांसपेशियों में अवरोध व फेफड़े में ऑक्सिजन का समुचित संचार न होना भी इस बीमारी का कारण बनसकता है।

 ऐसे करें बचाव

-अपनी लंबाई के अनुसार शरीर के वजन को संतुलित करें, अर्थात बॉडी मास इंडेक्स की जानकारी लें

-अपना वजन मेनटेन करें और खान-पान पर विशेष ध्यान दें

-संभव हो तो डायटीशियन की राय से अपना डाइट चार्ट बनाए

-नियमित व्यायाम, योगा, या मेडीटेशन करें, शराब और धूमपान न करें।

विश्वभर के विशेषज्ञ करेंगे मंथन

नींद से जुड़ी इस साइलेंट किलर से बचाव के लिए पीजीआइ में तीन दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ र्सजस फॉर स्लिप एप्निया की ओर से 29 से 31 मार्च तक आयोजित होने वाले 7वें एनुअल कांफ्रेंस में देश-विदेश के फेकल्टी भाग लेंगे। कार्यक्रम में विशेषज्ञ इस बीमारी के इलाज की नई सर्जरी पर चर्चा के साथ ही शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।

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