तरनतारन फर्जी एनकाउंटर केस में छह पुलिस मुलाजिमाें काे पांच से 10 साल तक की सजा

इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट ने 1997 में सीबीआइ को आदेश दिए थे। 2001 में सीबीआइ ने चार्जशीट तैयार करके कोर्ट को सौंपी थी।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Jan 2020 12:58 PM (IST) Updated:Fri, 10 Jan 2020 08:06 AM (IST)
तरनतारन फर्जी एनकाउंटर केस में छह पुलिस मुलाजिमाें काे पांच से 10 साल तक की सजा
तरनतारन फर्जी एनकाउंटर केस में छह पुलिस मुलाजिमाें काे पांच से 10 साल तक की सजा

चंडीगढ़, जेएनएन। आतंकवाद के दौर में तरनतारन में कारसेवक बाबा चरण सिंह और उनके परिवार के पांच सदस्यों को फर्जी पुलिस मुकाबले में मार देने और शवों को हरिके पत्तन दरिया में बहाने के मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने छह पुलिस मुलाजिमों को सजा सुनाई है, जबकि तीन काे सबूताें के अभाव में बरी कर दिया।फैसले के बाद पीडि़त परिवार का कहना है कि वह फिर हाई कोर्ट में अपील करेंगे।

इस मामले में इंस्पेक्टर सुभाष काे दाे केसाें में 10-10 साल सजा, सब इंस्पेक्टर विक्रम काे 10 साल सजा, एएसअाइ सुखदेव राज जाेशी काे दाे केसाें में 5-5 साल सजा व एएसअाइ सूबा सिंह काे 50-50 हजार का बांड भरने के बाद रिहा कर दिया। उक्त सभी अाराेपित अब रिटायर हाे चुके हैं।

पंजाब में अातंकवाद के दाैर के डिप्टी गुरमीत सिंह रंधावा जाे अब रिटायर हाे चुके है, के अलावा एसपी कश्मीर सिंह गिल, जाे इस समय एअाइजी काउंटर इंटेलीजेंस पटियाला व एएसअाइ निर्मल सिंह काे सबूताें के अभाव में बरी कर दिया गया।

क्या है मामला

वर्ष 1993 में पुलिस ने गुरुद्वारा झूलने महल (ठट्ठी खारा) के मुख्य प्रबंधक बाबा चरण सिंह, उनके भाई केसर सिंह, गुरदेव सिंह, मेजा सिंह निवासी गांव ठट्ठी खारा, उनके साले गुरमेज सिंह निवासी गांव सखीरा के अलावा गुरमेज सिंह के बेटे बलविंदर सिंह (पुलिस मुलाजिम) को अवैध तौर पर हिरासत में लेकर फर्जी एनकाउंटर में मार डाला था।

इन छह लोगों को उठाते समय गुरुद्वारा झूलने महल से 40 से अधिक वाहनों के अलावा लाखों रुपये का गेहूं भी पुलिस ने कब्जे में ले लिया था। इस मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट ने 1997 में सीबीआइ को आदेश दिए थे। 2001 में सीबीआइ ने चार्जशीट तैयार करके कोर्ट को सौंपी थी।

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