कनुप्रिया की जीत से पीयू में अब छात्राओं की आवाज होगी बुलंद

पीयू छात्र संघ में एसएफएस की प्रत्याशी कनुप्रिया ने प्रेसिडेंट पद पर जीत हासिल कर न सिर्फ इतिहास रचा है, बल्कि पीयू में महिलाओं और छात्राओं को नई दिशा दिखाई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 07 Sep 2018 07:03 PM (IST) Updated:Fri, 07 Sep 2018 07:03 PM (IST)
कनुप्रिया की जीत से पीयू में अब छात्राओं की आवाज होगी बुलंद
कनुप्रिया की जीत से पीयू में अब छात्राओं की आवाज होगी बुलंद

चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) छात्र संघ में स्टूडेंट फॉर सोसाइटी (एसएफएस) की प्रत्याशी कनुप्रिया ने प्रेसिडेंट पद पर जीत हासिल कर न सिर्फ इतिहास रचा है, बल्कि पीयू में महिलाओं और छात्राओं को नई दिशा दिखाई है। पीयू के इतिहास में प्रेसिडेंट पद पर एसएफएस और एक बार एनएसयूआइ छात्र संगठन ने ही महिला उम्मीदवारों को उतारने का दम भरा।

पहली बार में बेशक एसएफएस को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन पीयू स्टूडेंट्स की  कई सालों से आवाज बन रही एसएफएस ने ही कनुप्रिया को प्रेसिडेंट पद पर फिर से उतार उन्हें शानदार जीत दिलाई है। इस जीत से अब पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ने वाली करीब 70 फ्रीसद लड़कियों को अपनी ताकत का अंदाजा हो गया है।

दो बड़े पदों पर अब महिलाओं का दबदबा

पीयू छात्र काउंसिल चुनाव में प्रेसिडेंट पद पर भी महिला उम्मीदवार की जीत से पीयू कैंपस में अब महिलाओं और छात्राओं का दबदबा बढ़ना तय है। पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पुसा) प्रेसिडेंट पद पर भी इस साल प्रो. राजेश गिल ने शानदार जीत हासिल की है। ऐसे में अब महिला प्रोफेसर और छात्राओं की बात प्रशासन के सामने बेहतर तरीके से रखने के लिए दोनों महिला होंगी।

सीनेट में भी अब महिलाओं का होगा दबदबा

पंजाब यूनिवर्सिटी की सबसे बड़ी बॉडी सीनेट और सिंडीकेट में भी अब महिलाओं का दबदबा होने की उम्मीद है। पीयू सीनेट में पुसा प्रेसिडेंट प्रो. राजेश गिल प्रतिनिधित्व करती हैैं। कनुप्रिया के प्रेसिडेंट बनने के बाद वह भी अब पीयू सीनेट में स्टूडेंट्स का प्रतिनिधित्व करेंगी, लेकिन अभी तक स्टूडेंट काउंसिल प्रेसिडेंट को सीनेट में सिर्फ बैठने की अनुमति दी जाती है पर वह अपनी बात नहीं रख सकते।

कनुप्रिया का कहना है कि स्टूडेंट्स को भी सीनेट और सिंडीकेट सदस्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स हितों के लिए हर मंच पर वह अपनी बात रखेंगी। उन्होंने कहा कि सीनेट और सिंडीकेट जैसी बॉडी में अगर स्टूडेंट लीडर ही नहीं होगा तो फिर उनकी बात को कौन रखेगा।

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