अदालतों में पेश नहीं हुए वकील

ार काउंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर मंगलवार को हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की अदालतों में वकील अदालतों में पेश नहीं हुए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Feb 2019 02:12 AM (IST) Updated:Wed, 13 Feb 2019 02:12 AM (IST)
अदालतों में पेश नहीं हुए वकील
अदालतों में पेश नहीं हुए वकील

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर मंगलवार को हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की अदालतों में वकील अदालतों में पेश नहीं हुए।

एक ओर जहां पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज भवन जाकर राज्यपाल को अपनी मागों का ज्ञापन सौंपा। वहीं बार कॉउंसिल के चेयरमैन विजेंद्र सिंह अहलावत के नेतृत्व में हरियाणा पंजाब व चंडीगढ़ से लगभग 25000 वकीलों ने दिल्ली पहुंच कर पटियाला हाऊस कोर्ट से जंतर मंतर तक प्रोटेस्ट मार्च में शिरकत की।

इस प्रोटेस्ट मार्च में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह अहलावत सहित देश की अन्य बार काउंसिल के प्रतिनिधि एकत्रित होकर वकीलों की मागों का ज्ञापन सौंपा।

अहलावत के अनुसार, दिल्ली में पटियाला हाऊस कोर्ट से जंतर मंतर तक प्रोटेस्ट मार्च में बड़ी संख्या में वकीलों के पहुंचने से यह निश्चित हो गया है कि वकीलों ने यह साबित कर दिया है कि वे अपने हकों के लिए लड़ने को तैयार है। अहलावत ने कहा कि जब तक वकीलों की मागें पूरी नहीं होंगी वह वो यूं ही संघर्ष करते रहेंगे व झुकेंगे नहीं व किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेंगे।

साथ ही निचली कोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक के वकीलों का काम से दूरी बना आदोलन को समर्थन करने पर आभार व्यक्त किया। अहलावत ने इस प्रोटेस्ट मार्च में शामिल होने के लिए बार काउंसिल के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह, बीएस सैनी, करण जीत सिंह, सुरेंद्र शर्मा भूपेंद्र सिंह राठौर राजकुमार चौहान का भी धन्यवाद किया है।

अहलावत ने मागों के बारे में बताया कि देश की सभी बार एसोसिएशन में पर्याप्त बिल्डिंग, वकीलों को बैठने का स्थान, लाईब्रेरी, ई-लाईब्रेरी, इंटरनेट आदि की सुविधा मुहैया करवाई जाए। केंद्र सरकार वकीलों और याचिकाकर्ताओं के कल्याण के लिए बजट में 5 हजार करोड़ का प्रावधान करे। वकील व उनके परिवार का बीमा करवाया जाए। नए और जरूरतमंद वकीलों को पहले पाच साल तक 10 हजार रुपये प्रतिमाह आर्थिक मदद दी जाए। राज्य में एजी की अगुवाई में कमेटी को इसके उपयोग की जिम्मेदारी दी जाए। वकील आकस्मिक मृत्यु पर उसके परिवार को 50 लाख का मुआवजा दिया जाए। विभिन्न ट्रिब्यूनल, फोरम, कमिशन आदि में पूर्व जजों के अतिरिक्त योग्य वकीलों को भी सदस्य बनाने का प्रावधान किया जाए। याचिकाकर्ताओं के कल्याण के लिए की योजना बनाने की माग भी की गई है।

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