कृषि विधेयकों पर पंजाब में गर्माई सियासत, गांवों में जाकर किसानों को जागरुक करेगी भाजपा

पंजाब में कृषि विधेयकों पर राजनी‍ति गर्मा गई है। भाजपा को छोडकर अन्‍य दल इसका विरोध कर रहे हैंं। अब भाजपा गांवों में जाकर किसानों को इस पर जागरूक करेगी

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 08:00 AM (IST) Updated:Fri, 18 Sep 2020 08:00 AM (IST)
कृषि विधेयकों पर पंजाब में गर्माई सियासत, गांवों में जाकर किसानों को जागरुक करेगी भाजपा
कृषि विधेयकों पर पंजाब में गर्माई सियासत, गांवों में जाकर किसानों को जागरुक करेगी भाजपा

चंडीगढ, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र सरकार के कृषि विधेयकाें को लेकर राज्य में गरमाई राजनीति के बीच भारतीय जनता पार्टी भी सक्रिय हो गई है। पार्टी का किसान मोर्चा और अन्य संगठन कृषि बिल के फायदों को लेकर किसानों के बीच जाएंगे। इस समय भाजपा के समक्ष बड़ी चुनौती यह है कि एनडीए का सबसे मजबूत और पुराना घटक दल शिरोमणि अकाली दल भी इस मामले में भाजपा का साथ छोड़ गया है। इस कारण पंजाब में भाजपा अब खुद कमान संभालेगी। पार्टी इसे एक बड़ी संभावना के रूप में भी देख रही है क्योंकि अभी तक भाजपा ने अपने आप को केवल शहरों तक ही सीमित रखा हुआ था।

विरोधियों के आरोपों पर पलटवार करने की तैयारी, जरूरत पड़ी तो किसानों को कृषि मंत्री से मिलवाएंंगे

भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा ने कहा कि पार्टी के किसान मोर्चे को काम सौंपा गया है। पार्टी काडर गांव-गांव जाकर किसानों से बैठकें कर कृषि के बारे में उन्हें समझाएगा। बिल का पंजाबी में अनुवाद करवाकर किसानों में बांटा जाएगा। किसान संगठनों से लगातार संपर्क किया जा रहा है और उनके मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर किसानों को केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलवाना पड़ा तो मिलवाया जाएगा।

किसानों को जागरूक किया जाएगा

भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी रहे हरजीत ग्रेवाल ने कहा कि किसानों को कृषि बिल के बारे में समझाने की जरूरत है। किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकेंगे। इसके साथ ही किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदी जाए, इसके लिए केंद्र सरकार की 15 हजार करोड़ की भावांतर योजना तैयार की है। इससे किसानों को उनकी हर फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सकेगा।

बहकावे में न आएं किसान

पंजाब भाजपा के महासचिव डॉ. सुभाष शर्मा ने कहा कि कृषि बिल के माध्यम से पार्टी के पास ग्रामीण क्षेत्र में जाने की भी संभावना है। हालाकि हमारे लिए बड़ी चुनौती यह भी है कि हमारे गठजोड़ का साथी अकाली दल यह काम कर रहा था और अब वह पीछे हट गया है। हम उनके बगैर ही गांव-गांव जाकर किसानों को जागरुक करेंगे। किसानों को बताया जा रहा है कि वह कृषि बिल के प्रावधानों को देखें न कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा किए जा रहे गुमराह करने वाले बयानों में आकर इसका विरोध करें।

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