नाम नानक का, श्रेय लेने की पार्टियों के बीच चल रही ऐसी जंग, पहले भी हो चुका है विवाद

श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को 58 दिन से भी कम रह गए हैं लेकिन इसे कैसे मनाया जाना है इसको लेकर न तो पंजाब सरकार में सहमति बनी है और न ही SGPC में।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 14 Sep 2019 01:15 PM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 05:22 PM (IST)
नाम नानक का, श्रेय लेने की पार्टियों के बीच चल रही ऐसी जंग, पहले भी हो चुका है विवाद
नाम नानक का, श्रेय लेने की पार्टियों के बीच चल रही ऐसी जंग, पहले भी हो चुका है विवाद

सुल्तानपुर लोधी [इन्द्रप्रीत सिंह]। श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को 58 दिन से भी कम रह गए हैं, लेकिन इसे कैसे मनाया जाना है इसको लेकर न तो पंजाब सरकार में सहमति बनी है और न ही SGPC में। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कांग्रेस व शिरोमणि अकाली दल सुल्तानपुर लोधी के घरों, दफ्तरों और अन्य इमारतों की दीवारें अपने-अपने हिसाब के रंगों से पोतने में जरूर लगे हुए हैं, लेकिन गुरु नानक साहिब की शिक्षाओं का प्रसार करने के कार्यक्रम क्या होंगे, उन्हें आम जन तक कैसे पहुंचाया जाएगा, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

दरअसल, शिरोमणि अकाली दल अपनी खोई हुई साख को बहाल करने के लिए कार्यक्रम का सारा नियंत्रण शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) को दिलाना चाहता है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दो दिन पहले सुल्तानपुर लोधी में SGPC और शिअद को हाशिए पर धकेलने की पूरी कोशिश की है। उन्होंने कहा कि उनके पास पूरा रिकार्ड है कि खालसा पंथ की स्थापना के 300 साला दिवस को मनाने में किस-किस की क्या भूमिका थी।

बीस साल पहले भी श्रेय लेने का ही था विवाद

दिलचस्प बात यह है कि 1999 में अकाली दल-भाजपा की सरकार के दौरान श्री आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ का 300 साला स्थापना दिवस मनाया गया था। उस समय भी सारा कार्यक्रम SGPC ने तय किया था। कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि 31 दिसंबर, 1998 को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भाई रणजीत सिंह ने एक हुक्मनामा जारी किया था। इसमें प्रकाश सिंह बादल और गुरचरन सिंह टोहड़ा को हिदायत दी थी कि खालसा पंथ की स्थापना की तीसरी शताब्दी से पहले कोई भी पक्ष एक-दूसरे का किसी किस्म का नुकसान न करे, लेकिन प्रकाश सिंह बादल ने राज सता के बलबूते पर 16 मार्च, 1999 को SGPC के प्रधान जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहड़ा को अध्यक्ष पद से उतार कर श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे का सरेआम उल्लंघन करके इसकी सर्वोच्चता को चुनौती दी थी। बादल सरकार ने तब सारा कार्यक्रम चलाया था जिमसें मंच का संचालन SGPC की बजाए तब के वित्तमंत्री कैप्टन कंवलजीत सिंह ने किया था।

SGPC के काम में बाधा नहीं

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने SGPC द्वारा तालमेल न करने को लेकर लगाए आरोपों पर भी कहा है कि सरकार ने मंत्रियों की समिति गठित की हुई है। उन्होंने कहा कि सारे धार्मिक काम SGPC ही कर रही है, हम उसमें कोई बाधा नहीं पैदा कर रहे, लेकिन राज्य स्तरीय समारोह तो सरकार करवा रही है।

17 को फिर होगी तालमेल कमेटी की मीटिंग

SGPC के प्रधान जत्थेदार गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने एक बार फिर से सरकार पर समारोहों के लिए सहयोग न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि वह एक और कोशिश कर रहे हैं। 17 सितंबर को एक और संयुक्त तालमेल कमेटी की मीटिंग बुलाई गई है। उन्होंने सरकार से इसमें अपना नुमाइंदा भेजने की अपील की।

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