पंजाब कांग्रेस में फिर विवाद, सांसद दूलो ने कैप्टन की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

अब कांग्रेस के राज्‍यसभा सांसद शमशेर सिंह दूलो ने पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। वह कैप्‍टन द्वारा बुलाइ्र गई बैठक से वाकआउट किया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 24 Feb 2018 09:36 AM (IST) Updated:Sat, 24 Feb 2018 05:53 PM (IST)
पंजाब कांग्रेस में फिर विवाद, सांसद दूलो ने कैप्टन की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
पंजाब कांग्रेस में फिर विवाद, सांसद दूलो ने कैप्टन की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

जेएनएन, चंडीगढ़। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा के बाद राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो ने भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाकर कैप्टन की प्रधानगी में होने वाली हाई पावर विजिलेंस व मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक का बहिष्कार कर दिया। तीन साल बाद हुई बैठक में मुख्यमंत्री के शामिल न होने से नाराज दूलो ने बैठक का बहिष्कार कर कहा कि जब बैठक कैप्टन की तरफ से बुलाई थी, तो वह क्यों नहीं आए। बाद में पता चला कि कैप्टन सेहत खराब होने के चलते बैठक में नहीं आए थे।

विजिलेंस और मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक से दूलो का वॉकआउट

शुक्रवार को मुख्यमंत्री की प्रधानगी में गृहमंत्री, वेलफेयर मंत्री सहित अलग-अलग पार्टियों के विधायकों, राज्यसभा व लोकसभा सदस्यों वाली 25 सदस्यीय हाईपावर विजिलेंस एवं मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक पंजाब भवन में बुलाई गई थी। मुख्यमंत्री की सेहत खराब होने की वजह से वह बैठक में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने अपने स्थान पर साधु सिंह धर्मसोत सिंह को भेज दिया।

तीन साल बाद हुई थी मीटिंग, बाजवा भी उठा चुके हैं कार्यप्रणाली पर अंगुली

इससे खफा होकर अकाली दल के विधायक पवन कुमार टीनू, भाजपा के विधायक सोम प्रकाश, आप के विधायक बुद्ध राम ने मौके पर अपना विरोध भी दर्ज करवाया। इसके बाद नाराज शमशेर सिंह दूलो ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। बैठक में 31 मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाना था।

इनमें शगुन स्कीम, एससी विद्यार्थियों का वजीफा, अंतरजातीय विवाह पर मिलने वाली सहायता राशि, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप, किताबें, गरीबी रेखा के नीचे रहते गरीबों, दलितों की भलाई के लिए किए कार्य, आंबेडकर भवनों का निर्माण व रिपेयर या रखरखाव व धर्मशालाओं के लिए फंड आदि प्रमुख मुद्दे थे।

बैठक का बहिष्कार करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में दूलो ने कहा कि सरकार दलितों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि दलितों से संबंधित विभिन्न मामलों का निपटारा मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं। अगर वह ही सुनवाई नहीं करेंगे, तो सूबे में दलितों की सुनवाई कौन करेगा।

दूलो ने कहा कि दलितों पर लगातार अत्याचार बढ़ रहा है, दलित लड़कियों के साथ दुष्कर्म, खेतों में काम करने वाले दलितों के कर्जे सहित पंचायती जमीनों के कई मामलों को बैठक में रखना था, लेकिन जब मुख्यमंत्री बैठक में शामिल ही नहीं होंगे, तो सुनवाई क्या होगी। इसीलिए उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया है।

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सांसदों की संयुक्त बैठक से भी रहे थे नदारद

दूलो ने कहा कि सरकार के गठन के बाद कुछ समय पहले जब पहली बार सभी पार्टियों के सांसदों की संयुक्त बैठक बुलाई गई थी, तो उस समय भी मुख्यमंत्री ने बैठक में न आकर संसदीय मामलों के मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा को बैठक की प्रधानगी करने के लिए भेज दिया था। मुख्यमंत्री कभी भी बैठक को गंभीरता से नहीं लेते हैं। उन्होंने ब्रह्म मोहिंदरा से पूछा भी था कि क्या वह सभी मसलों का निपटारा करने का अधिकार रखते हैं, तो उनके पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था।

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