321 करोड़ के घोटाले में दो डायरेक्टरों समेत 41 को पेश होने के आदेश

321 करोड़ रुपये के घोटाले में ईडी ने जिला अदालत में मनी लाड्रिंग की धारा के तहत केस दायर किया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Aug 2018 07:14 PM (IST) Updated:Fri, 24 Aug 2018 04:59 PM (IST)
321 करोड़ के घोटाले में दो डायरेक्टरों समेत 41 को पेश होने के आदेश
321 करोड़ के घोटाले में दो डायरेक्टरों समेत 41 को पेश होने के आदेश

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : 321 करोड़ रुपये के घोटाले में ईडी ने जिला अदालत में मनी लाड्रिंग की धारा के तहत केस दायर किया है। जिला अदालत ने इस मामले में दो डायरेक्टरों समेत 41 लोगों को समन कर 6 सितंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। बता दें कि इंडियन ओवरसीज बैंक (आइओबी), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और बैंक ऑफ बड़ौदा में हुए 321 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आइओबी के तत्कालीन 3 असिस्टेंट बैंक मैनेजरों, रिटायर्ड ब्रिगेडियर, प्रोपराइटर्स को भी आरोपित बनाया है। चंडीगढ़ स्थित आइओबी शाखा के फॉरेक्स विभाग में तैनात मैनेजरों ने पहुंचाया फायदा

8 अगस्त 2016 को दिल्ली सीबीआइ ने मामले में धारा 120बी और 420 के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) आर/डब्ल्यू 13(1) (डी) के तहत एफआइआर दर्ज की थी। आरोप था कि चंडीगढ़ स्थित आइओबी शाखा के फॉरेक्स विभाग में 2010 में तैनात आशु मेहरा, नीतेश नेगी और गौरव भाटिया ने मिलकर दिनेश कुमार, अमनप्रीत सिंह सोढी, अमन किरपाल, गौरव किरपाल की कंपनियों को फायदा पहुंचाते हुए पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा और आइओबी को 47.86 मिलियन यूएस डॉलर (करीब 321 करोड़ रुपये) का नुकसान पहुंचाया। हांगकांग बेस्ड कंपनियों को जारी किया लेटर ऑफ क्रेडिट

ईडी ने जिला अदालत में जो केस दायर किया है, उसके मुताबिक आइओबी की चंडीगढ़ स्थित शाखा के तीन तत्कालीन असिस्टेंट बैंक मैनेजर आशु मेहरा, नीतेश नेगी और गौरव भाटिया ने बिना सीनियर अधिकारियों की अनुमति के हागकांग बेस्ड कंपनियों को पेमेंट के लिए पीएनबी की दुबई शाखा और बैंक ऑफ बड़ौदा की बहामास शाखा को लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कर दिया। इस आधार पर दोनों बैंकों ने विदेश में उन कंपनियों को करोड़ों की पेमेंट जारी कर दी। इस तरह से पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा और आइओबी की शाखाओं से कुल 321 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई। तीनों बैंक अधिकारियों ने चंडीगढ़ बेस्ड दो कंपनियों के डायरेक्टरों दिनेश कुमार, अमनप्रीत सिंह सोढी, अमन किरपाल, गौरव किरपाल, ब्रिगेडियर एमएस दुल्लत को करोड़ों का फायदा पहुंचाया। ब्रिगेडियर (रिटा.) एमएस दुल्लत मुख्य आरोपित आशु मेहरा के ससुर

ईडी की ओर से दायर केस में कहा गया है कि आरोपित बनाई गई हांगकांग बेस्ड कंपनी मेसर्स कलर वेव लिमिटेड को मुख्य रूप से सबसे बड़ा लाभ पहुंचाया गया है। वहीं, ब्रिगेडियर (रिटा.) एमएस दुल्लत मुख्य आरोपित आशु मेहरा के ससुर हैं और व्यापार एग्रोटेक लिमिटेड के डायरेक्टर हैं, जिसमें दूसरा डायरेक्टर अमनप्रीत सिंह सोढी है। सीनियर अधिकारियों की नहीं ली थी अनुमति

ईडी ने जाच में पाया कि तीनों बैंक मैनेजरों ने कंपनियों और उनके डायरेक्टरों को करोड़ों का फायदा पहुंचाने के लिए बिना सीनियर अधिकारियों की अनुमति के उनके फेवर में लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कर दिए। इसके अलावा फेक बिल पर भी पेमेंट करवाई। इससे विदेश में मौजूद पीएनबी और बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखाओं ने वहा कंपनियों को करोड़ों रुपये की पेमेंट जारी कर दी। लेकिन, जब उन शाखाओं ने उन्हें पेमेंट करने के लिए बैंक अधिकारियों को लिखा, तो मामले का खुलासा हुआ लेकिन इससे पहले उस समय के अनुसार 321 करोड़ रुपये (तब डॉलर की कीमत 67 रुपये थी) की धोखाधड़ी हो चुकी थी।

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