गिल आयोग की चौथी रिपोर्ट: 30 और केस झूठे, कार्रवाई की सिफारिश

-आयोग ने 4371 में 563 केसों को झूठा बताया, रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी --- क्रॉसर. -फ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Dec 2017 03:01 AM (IST) Updated:Mon, 04 Dec 2017 03:01 AM (IST)
गिल आयोग की चौथी रिपोर्ट: 30 और केस झूठे, कार्रवाई की सिफारिश
गिल आयोग की चौथी रिपोर्ट: 30 और केस झूठे, कार्रवाई की सिफारिश

-आयोग ने 4371 में 563 केसों को झूठा बताया, रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी

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क्रॉसर.

-फरीदकोट के नरेश सहगल पर दर्ज एफआइआर को भी झूठा करार दिया

-शिकायतकर्ता क्लर्क, इंस्पेक्टर व एएसआइ पर कार्रवाई की सिफारिश

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जागरण टीम चंडीगढ़/फरीदकोट: पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में निर्दोष लोगों पर दर्ज मुकदमों की जांच के लिए गठित जस्टिस महताब सिंह गिल आयोग ने रविवार को मुख्यमंत्री को चौथी रिपोर्ट पेश की। इसमें 112 मामलों में से 30 झूठे पाए गए। इन्हें तत्काल रद करने व पीड़ितों को मुआवजा देने की सिफारिश की गई है। इसमें कोटकपूरा के पत्रकार नरेश कुमार सहगल के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद करने व झूठा केस दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कारवाई की सिफारिश की है। साथ ही नरेश को मुआवजा देने को भी कहा है। 31 जुलाई तक आयोग को झूठे मामले दर्ज करवाने की 4371 शिकायतें मिली थीं। 563 मामलों में यह साबित हुआ कि शिकायतें झूठी थीं।

काग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया था कि बदलाखोरी की भावना से दर्ज केसों की पड़ताल करवाई जाएगी।

महताब गिल आयोग की रिपोर्ट

-पहली रिपोर्ट: अगस्त 2017: 172 केसों की पड़ताल 130 केस झूठे।

-दूसरी रिपोर्ट: अक्टूबर 2017: 101 मामलों में से 12 केसों में एफआइआर रद करने की सिफारिश। कुछ शिकायतों में अकाली मंत्रियों का नाम भी था। दो पुलिस अफसरों के खिलाफ कारवाई की सिफारिश।

-तीसरी रिपोर्ट: नवंबर 2017: 47 मामलों की पड़ताल कर 37 मामलों में एफआइआर रद करने की सिफारिश की थी। चार मामलों में मुआवजा देने व छह मामलों में चालान पेश न करने की सिफारिश।

-चौथी रिपोर्ट: दिसंबर 2017: 112 मामलों में से 30 झूठे पाए गए। इन्हें तत्काल रद करने व पीड़ितों को मुआवजा देने की सिफारिश

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सुखबीर के खिलाफ केस रद करवाने के दबाव में पत्रकार पर बनाया झूठा केस

वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव के मतदान के दिन कोटकपूरा के नरेश सहगल ने फरीदकोट संसदीय सीट से उम्मीदवार सुखबीर सिंह बादल व उनके साथियों पर मारपीट करने व कैमरा छीनने के आरोप लगाए थे। पुलिस के पास सुनवाई न होने पर सहगल ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर थाना सिटी कोटकपूरा में 30 जून 2006 को सुखबीर सिंह बादल व उनके साथियों पर धारा 307, 323 व 392 के तहत केस दर्ज किया गया था। नरेश सहगल ने आरोप लगाया था कि इस केस को वापस लेने के लिए उस 8 जुलाई 2010 को डीसी दफ्तर के क्लर्क पवन कुमार की शिकायत पर थाना कोतवाली में झूठा केस दर्ज किया गया। केस दर्ज करने में इंस्पेक्टर सुखदेव ¨सह व एएसआइ जसपाल ¨सह की अहम भूमिका थी। आयोग ने इस केस को झूठा करार देते हुए शिकायतकर्ता डीसी दफ्तर के क्लर्क, क्लर्क पवन कुमार, इंस्पेक्टर सुखदेव ¨सह व एएसआइ जसपाल ¨सह के खिलाफ आइपीसी की धारा 195 व 209 के तहत कार्रवाई की सिफारिश की है। साथ ही सहगल को मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। यह मुआवजा दोनों पुलिस अधिकारियों से वसूलने की बात कही गई है।

बरी हो चुके हैं सुखबीर

हाईकोर्ट के आदेश पर थाना सिटी कोटकपूरा में ही चंडीगढ़ के अजय वर्मा की शिकायत पर भी सुखबीर सिंह बादल पर केस दर्ज हुआ था, जिसमें वे बरी हो चुके हैं। फरीदकोट अदालत में 10 साल तक लंबी सुनवाई के बाद 2 अप्रैल 2016 को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में सुखबीर बादल को बरी कर दिया था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ खिलाफ नरेश ने जिला अदालत में चुनौती दी है। अब ये केस जिला व सेशन जज की अदालत में चल रहा है। जिला अदालत ने सुखबीर बादल को निजी पेशी से छूट दी है और वे 50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत पर हैं।

आयोग की रिपोर्ट पर अमल करेंगे: मनप्रीत

ब¨ठडा: वित्तमंत्री मनप्रीत ¨सह बादल ने रविवार को बठिंडा में पत्रकारों से कहा कि सरकार आयोग की रिपोर्ट पर अमल करेगी। यह गृह विभाग का मामला है। अभी तक उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी नहीं है। इसी वजह से डिटेल में प्रतिक्रिया नहीं दे सकते।

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