आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जय गोपाल अश्क ने की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Jan 2020 07:43 PM (IST) Updated:Sun, 19 Jan 2020 07:43 PM (IST)
आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं
आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : आधुनिक हिदी साहित्य के छायावादी महाकवि, कथाकार, उपन्यासकार, नाटककार जयशंकर प्रसाद, सुप्रसिद्ध महाकवि, गीतकार पद्मभूषण गोपालदास 'नीरज' को उनके जन्मदिवस पर शब्द-सुमन श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान टैगोर थिएटर सेक्टर-18 में बने मिनी ऑडिटोरियम में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) के सौजन्य से एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जय गोपाल 'अश्क' ने की। कवियित्री नेहा अरोड़ा ने प्रसाद रचित नाटक चंद्रगुप्त से मातृभूमि वन्दना का सिरमौर गीत, अरुण यह मधुमय देश हमारा व देशभक्ति से ओत-प्रोत रचना हिमाद्री तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध भारती, स्वयंप्रभा समुज्जवला स्वतन्त्रता पुकारती प्रस्तुत किया। नेहा की इस प्रस्तुति ने सभा में जोश भर दिया। वहीं उर्मिला कौशिक 'सखी' ने प्रसाद की काव्यकृति, कामायनी के लज्जा सर्ग भाग-2 से गीतात्मक कविता मैं रति की प्रतिकृति लज्जा हूं, मैं शालीनता सिखाती हूं सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर किया। सरस संगीतमय गीतों को लिखने वाले श्रेष्ठ कवि थे प्रसाद

महाकवि जयशंकर प्रसाद के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सुशील 'हसरत' नरेलवी ने कहा कि 30 जनवरी 1889 को काशी के सराय गोवर्धन में जन्मे जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रतिष्ठापक ही नहीं, अपितु छायावादी पद्धति पर सरस संगीतमय गीतों को लिखने वाले श्रेष्ठ कवि थे। कथा के क्षेत्र में प्रसाद आधुनिक ढंग की कहानियों के आरंभियता माने जाते हैं। गीतकार गोपालदास नीरज के साहित्यिक एवं कला के क्षेत्र में दिए गए योगदान पर डॉ. उर्मिला कौशिक 'सखी' ने प्रकाश डाला। बाद में कवि बलवंत 'तक्षक' ने गीत आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं आदि पेश किया। उनके अलावा शहर के पेशेवर कवियों और रचनाकारों ने प्रस्तुतियां देकर सभी का दिन जीत लिया।

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