नौजवानों की रगों में कम हुई खून की रवानी, पुरुष हो रहे गंभीर समस्‍या के शिकार

पंजाब के युवाओं की रगों में खून की रवानी घट रही है। युवाओं में लड़कियों के साथ-साथ लडकों के शरीर में भी खून की कमी की समस्‍या पैदा हो रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 10 Sep 2018 10:11 AM (IST) Updated:Mon, 10 Sep 2018 08:54 PM (IST)
नौजवानों की रगों में कम हुई खून की रवानी, पुरुष हो रहे गंभीर समस्‍या के शिकार
नौजवानों की रगों में कम हुई खून की रवानी, पुरुष हो रहे गंभीर समस्‍या के शिकार

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। अच्छी सेहत के लिए पहचाने जाने वाले पंजाब के गबरू कमजोर हो रहे हैं। उनकी रगों में खून की कमी हाे रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है। इस सर्वे में में सामने आया है कि पंजाब के गबरुओं में लगातार खून की कमी आ रही है। 27 फीसद पुरुष अनीमिया के शिकार हैं। इससे उनको कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो रही हैं।

54 फीसद महिलाएं और  27 फीसद पुरुष अनीमिया के शिकार

महिलाओं की स्थिति इससे भी खतरनाक है। दस वर्षों में अनीमिया की शिकार महिलाओं की संख्या में 16 फीसद की वृद्धि हुई है। 2005-06 के सर्वे में जहां 38 फीसद महिलाओं में खून की कमी पाई गई थी, जो 2015-16 में बढ़ कर 54 फीसद तक पहुंच गई।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में सामने आई चिंताजनक तस्वीर

खून की कमी के पीछे मुख्य कारण पौष्टिक आहार की कमी है। स्वास्थ्य विभाग भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। सरकार की ओर से खून की कमी को पूरा करने के लिए महिलाओं को आयरन की गोलियां बांटी जाती हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग 100 फीसद महिलाओं को आयरन की गोलियां बांटने में विफल रहा है।

आंकड़े बताते हैं कि 87.50 फीसद महिलाओं को ही आयरन की गोलियां बांटी गई हैं। 12.50 फीसद महिलाएं को सरकारी स्तर पर आयरन की गोलियां तक नहीं बांटी गईं। स्वास्थ्य को लेकर सरकारी तंत्र इतना विमुख है कि लोगों को जागरूक तक नहीं कर पा रही है।

गलत खान-पान कमी का मुख्य कारण

बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व रजिस्ट्रार प्यारा लाल गर्ग कहते हैं, 'समस्या बेहद गंभीर है। कभी सोचा भी नहीं जा सकता कि पंजाब में पुरुषों में खून की कमी पाई जा रही है। क्योंकि पंजाबी खान पान पूरे विश्व में मशहूर है। यह सच्चाई है कि खान पान में बदलाव से महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी अनीमिया का शिकार हो रहे हैं।'

उनका कहना है कि आज खान-पान में भेड़ चाल चल रही है। हर कोई पतला अनाज खाने में लगा है। बगैर यह जाने कि इसका उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। आम घरों में मिलने वाला गुड़ तक लोग नहीं खा रहे। यह लोगों में आयरन की कमी को पूरा करता है। दाल और चने तो अब दिन के हिसाब से बनते हैं। बाजरा और जौ तो गायब ही हो गए हैं। सरकारें भी इन फसलों के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिश नहीं करती है। डॉ. गर्ग कहते हैं, 'अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में यह समस्या और भी विकट हो सकती है।'

'' कभी पंजाब में 29 प्रकार की फसलें हुआ करती थी, लेकिन अब मात्र छह प्रकार की ही फसलें हो रही हैं। लोगों के स्वाद में बदलाव आया है तो उसके नकारात्मक असर भी सामने आने शुरू हो गए हैं।

                                                                                           -दवेंदर शर्मा, कृषि एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ।

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