कैसा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, 17 महीनों में चार स्कूल नहीं हो सके स्मार्ट

शहर के विद्यार्थियों को स्मार्ट एजुकेशन देने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने चार स्कूलों को स्मार्ट बनाने की प्लानिग बनाई थी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 May 2022 11:45 PM (IST) Updated:Tue, 17 May 2022 11:45 PM (IST)
कैसा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, 17 महीनों में चार स्कूल नहीं हो सके स्मार्ट
कैसा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, 17 महीनों में चार स्कूल नहीं हो सके स्मार्ट

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : शहर के विद्यार्थियों को स्मार्ट एजुकेशन देने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने चार स्कूलों को स्मार्ट बनाने की प्लानिग बनाई थी। नवंबर 2020 में प्लानिग को पूरा करने के लिए स्कूलों में काम शुरू हुआ, लेकिन हैरत की बात है कि 17 महीने के बाद भी चार स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के तौर पर शुरू नहीं किया जा सका और मजेदार बात यह है कि प्रोजेक्ट से जुड़े आला अधिकारी मामले से बेखबर हैं। किसी स्कूल को स्मार्ट फ्लोरिग का इंतजार है तो कहीं पर कैमरा और स्टडी मैटेरियल का। चार स्कूलों का पायलट प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद शहर के सभी 116 सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाना है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गवर्नमेंट माडल हाई स्कूल सेक्टर-22, सेक्टर-35, 43 सहित गवर्नमेंट माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-35 को शामिल किया गया था। यह मिलनी है स्कूलों को सुविधाएं

स्मार्ट स्कूल के तहत क्लासरूम में स्पेशल फ्लोरिग होनी थी जो कि आग लगने की स्थिति में विद्यार्थियों को बचाने के लिए कारगर थी। आग के साथ फ्लोरिग पानी गिरने से स्लिप होकर बचने में भी सहायक होनी थी। इसी के साथ विद्यार्थियों को बैठने के लिए टेबल और बैंच अटैच मिलने थे ताकि विद्यार्थियों को बैठने और स्टडी मैटिरयल रखने में कोई परेशानी न आए। क्लास रूम और कैंपस में लगातार नजर बनाए रखने के लिए विशेष कैमरा स्थापित होने थे जो कि किसी भी प्रकार की अनहोनी का अलर्ट प्रिसिपल रूम में पहुंचाने वाले थे। स्मार्ट स्कूल में सबसे अहम था स्टडी मैटिरयल जो कि प्रोजेक्टर के तहत विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना था। क्या है स्कूलों की स्थिति

पायलट प्रोजेक्ट में चार स्कूलों को लिया गया था। इसमें से जीएमएचएस-22 में अभी तक फ्लोरिग और कैमरा की व्यवस्था नहीं हो सकी है। इसी प्रकार से जीएमएचएस-35, जीएमएसएसएस-35, जीएमएचएस-43 में कैमरा और स्टडी मैटिरयल की व्यवस्था नहीं हुई है। स्टडी मैटिरयल के नाम पर प्रोजेक्टर और स्मार्ट बोर्ड दिए हैं, लेकिन जो स्टडी मैटिरयल भेजा है उसमें पंजाबी, संस्कृत, ड्राइंग, होम साइंस, सहित विभिन्न वोकेशनल विषयों का सिलेबस स्कूलों में नहीं पहुंचा है। स्कूलों में सारी सुविधाएं दी जा चुकी है। हमारा प्रयास स्मार्ट एजुकेशन देने का है। इसके लिए हम काम कर रहे हैं।

- आनिंदिता मित्रा, सीईओ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट

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