कैप्‍टन सरकार को राज्‍यपाल ने दिया झटका, इस कदम पर ब्रेक लगा बैकफुट पर धकेला

राज्‍यपाल वीपी सिंह बदनौर ने कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार को झटका दिया है। उन्‍होंने विधायकोें को बोड्र व निगमों का चेयरमैन बनाने के लिए तैयार अध्‍यादेश को सरकार को लौटा दिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 14 Jul 2018 09:58 AM (IST) Updated:Sun, 15 Jul 2018 05:13 PM (IST)
कैप्‍टन सरकार को राज्‍यपाल ने दिया झटका,  इस कदम पर ब्रेक लगा बैकफुट पर धकेला
कैप्‍टन सरकार को राज्‍यपाल ने दिया झटका, इस कदम पर ब्रेक लगा बैकफुट पर धकेला

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब के कैप्‍टन अमरिेंदर सिंह सरकार को राज्‍यपाल वीपी सिंह बदनौर ने झटका दिया है। राज्‍यपाल ने कैप्‍टन सरकार द्वारा विधायकों को बोर्ड व निगमों का चेयरमैन बनाने के बारे में तैयार अध्‍यादेश को लौटा दिया है। इसेे जारी करने के लिए राज्‍यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था। राज्यपाल ने कहा है कि इस संबंध में अध्यादेश लाने की बजाए विधानसभा का सत्र बुलाकर उसमें विधिवत ढंग से सरकार बिल पास करे।

बोर्ड चेयरमैन को लाभ के पद से हटाने का अध्यादेश लौटाया

राज्यपाल द्वारा अध्यादेश लौटाने संबंधी मुख्यमंत्री कार्यालय और संसदीय कार्य विभाग की ओर से पुष्टि की गई है। राज्यपाल द्वारा अध्यादेश लौटाने के बाद अब विधायकों को बोर्ड व निगमों का चेयरमैन बनने के लिए विधानसभा के सत्र का इंतजार करना पड़ेगा। विधानसभा में पास होने के बाद बिल को मंजूरी के लिए फिर से राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि मंत्री बनने से वंचित रह गए वरिष्ठ विधायक बोर्ड व निगमों का चेयरमैन बनने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह लाभ का पद (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) होने के कारण बाधा बना हुआ था। अध्‍यादेश द्वारा सरकार इसे लाभ का पद श्रेणी से हटाना चाहती थी।

बोर्ड व निगमों का चेयरमैन बनने को प्रयासरत विधायकों का इंतजार हुआ लंबा

पंजाब कैबिनेट ने 27 जून को हुई बैठक में पंजाब स्टेट लेजिस्लेचर प्रिवेंशन ऑफ डिस्क्वालिफिकेशन एक्ट 1952 में संशोधन करने का अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी थी। जब यह राज्यपाल की मंजूरी के लिए गया तो उन्होंने कहा कि इसे विधानसभा में विधिवत रूप से पास करवाकर बिल के रूप में भेजें।

सरकार की ओर से राज्यपाल को यह आग्रह किया गया था कि पंजाब में मानसून सत्र बुलाने की परंपरा नहीं है। मार्च में बजट सत्र के बाद पंजाब में सीधे सितंबर में ही सत्र बुलाया जाता है। अब यदि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाती है तो सितंबर में नियमित तौर पर बुलाए जाने वाले सत्र में ही सरकार को बिल पारित करवाना होगा।

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