प्रेमिका ने काटा युवक का प्राइवेट पार्ट, डॉक्टरों ने 12 घंटे की सर्जरी कर जोड़ा

चंडीगढ़ पीजीआइ में 12 घंटे की सर्जरी में डॉक्‍टरों ने एक युवक को जीवनदान दिया। डॉक्‍टरों ने प्रेमिका द्वारा काटे गए युव‍क के प्राइवेट पार्ट जोड़ दिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 17 May 2018 12:30 PM (IST) Updated:Fri, 18 May 2018 08:56 PM (IST)
प्रेमिका ने काटा युवक का प्राइवेट पार्ट, डॉक्टरों ने 12 घंटे की सर्जरी कर जोड़ा
प्रेमिका ने काटा युवक का प्राइवेट पार्ट, डॉक्टरों ने 12 घंटे की सर्जरी कर जोड़ा

चंडीगढ़, [डॉ. रविंद्र मलिक]। प्रेमी ने दूसरी लड़की से शादी कर ली तो भड़की प्रेमिका ने बदला लेने के लिए उसका प्राइवेट पार्ट ही काट डाला। इस पर परिजन युवक को पीजीआइ चंडीगढ़ ले आए। डॉक्टर भी मामला देखकर हैरान रह गए और 12 वरिष्ठ डॉक्टरों ने करीब 12 घंटे लंबी सर्जरी कर युवक की जान बचा ली।

पीजीआइ में 12 वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम ने किया सहारनपुर के युवक का ऑपरेशन

मामला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) का है। यहां एक युवक ने प्रेमिका को धोखा देकर दूसरी लड़की से शादी कर ली। इस पर प्रेमिका ने युवक को बहाने से होटल में बुलाया और उसे बांध दिया। फिर तेजधार हथियार से उसका प्राइवेट पार्ट काट दिया। परिजनों को घटना का पता चला तो वह लहूलुहान युवक को पीजीआइ लेकर पहुंच गए। इसके बाद डॉक्टरों की मीटिंग बुलाई गई।

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12 वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम ने युवक की सर्जरी शुरू दी और करीब 12 घंटे के ऑपरेशन के बाद युवक की जान बचा ली और प्राइवेट पार्ट भी जोड़ दिया। फिलहाल युवक की हालत खतरे से बाहर है और डॉक्टरों की टीम उस पर नजर रखे हुए है।

पीड़ित ने सुनाई आपबीती

युवक ने डॉक्टरों को रोते हुए बताया कि उसकी शादी से प्रेमिका काफी नाराज थी। प्रेमिका ने उसे होटल में बुलाया। जब वह होटल पहुंचा तो लड़की ने उसे बांध दिया और फिर तेजधार हथियार से प्राइवेट पार्ट काट दिया। इसके बाद उसने किसी तरह परिजनों को घटना की जानकारी दी।

पीजीआइ में ऐसा चौथा केस

पीजीआइ में इससे पहले प्राइवेट पार्ट के रि-इंप्लांटेशन के तीन ऑपरेशन हो चुके हैं। पीजीआइ एक्सपर्ट के अनुसार, ऑपरेशन की सफलता इस बात पर ज्यादा निर्भर करती है कि किस हालत में कटा हुआ प्राइवेट पार्ट लाया गया और उसे रि-इंप्लांट किया गया।

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''ऑपरेशन हो गया है। ऑर्गन को रि-इंप्लांट कर दिया गया है। अभी इसके सही तरीके से काम करने पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। तीन से चार दिन के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

                                                                 - प्रो. एके मंडल, प्रमुख, डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी, पीजीआइ।

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