Khadi के जरिए गांधी जी की विचारधारा से प्रेरित कर रहे यह शख्स, जानें क्या है इच्छा Chandigarh News
गांधी स्मारक भवन लोगों को उनकी याद दिलाता है मगर इसके अंदर होने वाली विभिन्न गतिविधियां महात्मा की विचारधारा से जोड़ती हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़.। गांधी जी की स्वदेशी विचारधारा खादी में बसती थी। इसलिए उनकी पहली पहचान खादी ही है। जो उनके सादे जीवन को दर्शाती थी। मगर आज लोग इससे बिमुख हाे रहे हैं। हम पहले करीब 30-40 स्टाल शहर के लोगों के लिए लगवाते थे, जिसमें खादी से बने कपड़े बेचे जाते थे पर कम खरीदारी की वजह से इसे सीमित करना पड़ा। मगर फिर भी हमारी कोशिश हमेशा लोगों को उनके विचारों से जोड़ने की रहेगी।
इसलिए पिछले कई सालाें से खादी पहनकर लोगों को गांधी की विचारधारा से जोड़ रहा हूं।
सेक्टर-16 स्थित गांधी स्मारक भवन के निदेशक केके शारदा कुछ इन्हीं शब्दों में अपने खादी से जुड़े विचारों को साझा करते हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर बुधवार को भवन एक खास कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। जिसमें पंजाब के गवर्नर वीपी सिंह बदनौर भी शामिल होंगे।
पिता महात्मा गांधी और भगत सिंह दोनों के साथ रहे
शारदा ने कहा कि वे अपने पिता की वजह से गांधीवाद से जुड़े। उनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी रह चुके हैं। शारदा ने कहा कि पिता ने महात्मा गांधी के पास साबरमती आश्रम में तीन महीने गुजारे थे। इसके अलावा भगत सिंह और कई स्वतंत्रता सेनानियों के साथ भी वक्त गुजारा। ऐसे में मैं हर स्वंत्रता सैनानी के विचारों का सम्मान करता हूं, बेशक वह एक दूसरे से अलग भी हों।
लाइब्रेरी में राष्ट्रपिता से जोड़ती हैं 1700 किताबें
भवन में एक लाइब्रेरी भी है। जिसमें करीब 14 हजार किताबें शामिल हैं। शारदा ने कहा कि यहां महात्मा गांधी के जीवन पर 1700 किताबें शामिल हैं। जिन्हें युवाओं को पढ़ने के लिए निशुल्क दिया जाता है। दिल्ली के बाद उत्तर भारत में इकलौता गांधी म्यूजियम बनाया।
शारदा ने कहा उन्होंने पिछले वर्ष भवन में एक म्यूजियम बनाया। जिससे कि लोगों को महात्मा गांधी के निजी जीवन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके। इसमें गांधी जी के प्रसिद्ध इंटरव्यू को पुराने टेलीफोन में सुना जा सकता है। इसके अलावा उनके द्वारा विभिन्न इस्तेमाल किए गए चरखे, विभिन्न जेलों में काटी गई सजा इत्यादि को बताया गया है।