शिक्षा विभाग के सर्वे में आउट ऑफ स्कूल स्टूडेंट्स की कम हुई संख्या

राइट टू एजुकेशन के अनुसार चौदह साल के हर बच्चे के लिए शिक्षा अनिवार्य है। यह शिक्षा बच्चों को फ्री में दी जाती है। स्कूल में शिक्षा के साथ-साथ खाना, किताबें और वर्दी तक दी जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Dec 2017 07:27 PM (IST) Updated:Tue, 19 Dec 2017 07:27 PM (IST)
शिक्षा विभाग के सर्वे में आउट ऑफ स्कूल स्टूडेंट्स की कम हुई संख्या
शिक्षा विभाग के सर्वे में आउट ऑफ स्कूल स्टूडेंट्स की कम हुई संख्या

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : राइट टू एजुकेशन के अनुसार चौदह साल के हर बच्चे के लिए शिक्षा अनिवार्य है। यह शिक्षा बच्चों को फ्री में दी जाती है। स्कूल में शिक्षा के साथ-साथ खाना, किताबें और वर्दी तक दी जाती है। इसके बाद भी स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या आज भी पाई जा रही है। चंडीगढ़ में इस बार 3500 बच्चे ऐसे हैं जो कभी स्कूल ही नहीं गए। यह वह बच्चे हैं जिनके घर वाले रोजी-रोटी की तलाश में एक से दूसरे स्थान पर चलते रहते हैं। इसके अलावा कई बच्चे ऐसे भी हैं जो कि अपने छोटे भाई-बहन की देखरेख के लिए घर में रहते हैं और उनके माता-पिता काम के लिए दिन भर घर से दूर रहते हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूल नहीं आने वाले स्टूडेंट्स का 9 से 12 दिसंबर 2017 को सर्वे कराया था। इस सर्वे में स्पेशल टीचर ने सर्वे किया और बताया कि शहर के करीब 3500 बच्चे ऐसे हैं जो कि स्कूल नहीं जाते है। सर्वे करने के लिए 120 टीचर की ड्यूटी लगाई गई थी।

8 से 10 और 11 से 14 साल के बच्चे है बिना शिक्षा के

स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की दो कैटेगरी हैं। एक कैटेगरी में आठ से दस साल के बच्चे हैं। इस कैटेगरी में ज्यादातर बच्चे वह है जो माता-पिता के साथ एक से दूसरे स्थान पर रोजी-रोटी की तलाश में घूमते रहते है। इनकी संख्या 1500 के करीब है। इसके अलावा दूसरी कैटेगरी में 11 से 14 साल के बच्चे हैं।

बीते वर्ष से कम हुई बच्चों की संख्या

स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों का सर्वे शिक्षा विभाग हर साल करता है। बीते वर्ष इन स्टूडेंट्स की संख्या 4110 थी। इस बार मात्र 3500 बच्चे ही आउट ऑफ स्कूल पाए गए हैं।

स्कूल लाने के लिए बन सकते हैं नए प्रोजेक्ट

इन बच्चों को स्कूल में लाने के लिए शिक्षा विभाग नए प्रोजेक्ट बना सकता है। इससे पहले भी शिक्षा विभाग के स्पेशल टीचर की टीम बनाई है। जहां पर भी बच्चे स्कूल जाने वाले मिलते है, उनके लिए विशेष कक्षाएं लगाई जाती हैं। जब बच्चा वहां पर मेन स्ट्रीम में आने के लायक हो जाता है तो उसे स्कूल में दाखिल करा दिया जाता है। इसके बाद भी शिक्षा विभाग कुछ नए प्रोजेक्ट इन बच्चों को स्कूल लाने के लिए शुरू कर सकता है। जिसमें सबसे पहले जागरूकता कैंप लगाए जा सकते हैं।

स्कूल नहीं आने वाले बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है। स्पेशल टीचर के द्वारा इन बच्चों को स्कूल लाया जा रहा है। इसे बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया जा सके, इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू करेंगे।

अल्का मेहता, असस्टिेंट डायरेक्टर अडल्ट एजुकेशन-1।

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