चंडीगढ़ पीयू में पूर्व पीएम अटल बिहारी व मालवीय को किया याद, गिनवाई उपलब्धियां

पंजाब यूनिवर्सिटी में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी और पं. मदन मोहन मालवीय की जयंती पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान उनकी उपलब्धियों के बारे में चर्चा के साथ उसके जीवन से सीख लेने के अपील की गई।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Sat, 26 Dec 2020 04:55 PM (IST) Updated:Sat, 26 Dec 2020 04:55 PM (IST)
चंडीगढ़ पीयू में पूर्व पीएम अटल बिहारी व मालवीय को किया याद, गिनवाई उपलब्धियां
पीयू में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी और पं. मदन मोहन मालवीय की जयंती पर वेबीनार कराया गया।

चंडीगढ़, जेएनएन। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी और पं. मदन मोहन मालवीय की जयंती पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबीनार के अन्तर्गत अभिनव भारत के नवनिर्माण में उनके योगदान पर विस्तृत चर्चा और संवाद किया गया। पीयू कुलपति प्रोफेसर राजकुमार ने इस आयोजन की सफलता के लिए संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. वीके अलंकार को अपनी शुभकामनाओं के साथ सार्थक संवाद के आयोजन पर भी बल दिया। प्रो. वीआर सिन्हा डीन-रिसर्च ने वेबिनार के विषय पर चर्चा की। प्रो. सिन्हा ने मालवीय के जीवन-दर्शन को बड़ी सारगर्भित शैली में प्रस्तुत करते हुए बताया कि उनका जीवन संघर्ष का उदाहरण है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना में मालवीय के कर्मयोग को भारत कभी भूल नहीं सकता। इसी प्रकार प्रो. सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी के दृढ़ मनोबल को भी रेखांकित किया। संयोजक प्रो. वीके अलंकार ने  पं.मदन मोहन मालवीय को विद्यापुरुष के रूप में और अटल बिहारी वाजपेयी को क्रांतदर्शी, शिखर राजपुरुष के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनकी व्यापक दृष्टि (vision) का मूल्यांकन किया। इसके साथ ही उन्होंने वाजपेयी की कई कविताएं प्रस्तुत कीं।

वाजपेयी की काव्यप्रतिभा के कई नमूने पेश करते हुए उन्होंने बताया कि भारत की एकता, महिलाओं की स्थिति, उपेक्षित समाज ही उनकी कविता के केन्द्र में है। इस संवादसत्र में 40 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लेकर इन दोनों नायकों के जीवनसंबंधी अनेक पक्षों को सांझा किया। पीयू कुलपति ने व्यक्तिगत रूप से प्रो. अलंकार को इस जयंती की रूपरेखा का सुझाव दिया और उनके भारतीय उत्थान में योगदान पर सार्थक संवाद करने की इच्छा प्रकट की।

पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग में भी पंडित मदनमोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के मौके पर नई शिक्षा नीति पर परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभाग के शिक्षकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी, बोर्ड ऑफ़ स्टडी के सदस्य और हिंदी-विभाग के एलुमनी ने भाग लिया। एलुमनी डॉ.  ज्योति शर्मा ने कहा कि शिक्षा साक्षरता से बड़ी होती है, तो डॉ. आदित्य अंगीरस का विचार है शिक्षा सद्गुणों को विकसित करती है। विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बैजनाथ प्रसाद ने कहा कि नई शिक्षा नीति व्यष्टि और समष्टि के बीच संतुलन, समन्वय और उत्थान के लिए है।

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