चंडीगढ़ प्रशासन DSE रूबिंदरजीत पर मेहरबान, पीसीएस अफसर को फिर दे दी एक साल की एक्सटेंशन

चंडीगढ़ प्रशासन डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन रूबिंदरजीत बराड़ पर मेहरबान है। क्योंकि छह साल से पद पर काबिज पीपीएस अफसर बराड़ को प्रशासन ने एक बार फिर से एक्टेंशन दे दी है। बता दें कि रूबिंदरजीत बराड़ छह साल से चंडीगढ़ में कार्यरत हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 31 May 2021 03:49 PM (IST) Updated:Mon, 31 May 2021 03:49 PM (IST)
चंडीगढ़ प्रशासन DSE रूबिंदरजीत पर मेहरबान, पीसीएस अफसर को फिर दे दी एक साल की एक्सटेंशन
पीसीएस अफसर रूबिंदरजीत सिंह बराड़ की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ प्रशासन सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) की गाइडलाइंस को नहीं मानता। सीवीसी की गाइडलाइंस के अनुसार कोई भी अधिकारी महत्वपूर्ण पद पर तीन साल से अधिक समय तक नहीं रह सकता, लेकिन पीसीएस अफसर रूबिंदरजीत सिंह बराड़ के लिए प्रशासन ने सारे नियम ताक पर रख दिए हैं। डीपीआइ स्कूल रूबिंदरजीत सिंह बराड़ को प्रशासन ने एक बार फिर से एक साल के एक्सटेंशन दे दी है। यह एक्सटेंशन उस समय दी गई है जब एजुकेशन डिपार्टमेंट की वर्किंग पर सवाल उठ रहे हैं। बराड़ पिछले 6 सालों से प्रशासन में एक ही पद डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन और डायरेक्टर हायर एजुकेशन पर जमे हुए हैं।

सीवीसी नियमों के अनुसार चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब के पीसीएस और हरियाणा एचसीएस अधिकारी का कार्यकाल तीन साल का होता है। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में ही यह एक्सटेंशन एक या दो साल के लिए बढ़ाई जाती है । पीसीएस अफसर बराड़ का प्रशासन में अगस्त में छह साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है और फिर उसे एक साल की एक्सटेंशन दे दी गई है। साथ ही एक अन्य डिपार्टमेंट में सीजीएम का पद भी दे दिया गया है।

विवादों में कार्यकाल

पीसीएस अफसर बराड़ का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। शहर के प्राइवेट स्कूलों पर एजुकेशन डिपार्टमेंट का कोई नियंत्रण नहीं रहा। शहर के स्कूलों में कांट्रेक्ट पर रखे एंप्लाइज से नौकरी के लिए सरेआम पैसे मांगे जा रहे हैं। शहर के गवर्नमेंट स्कूलों की स्थिति खराब होती जा रही है। नौकरी से निकाले गए एंप्लाइज आरोप लगा रहे हैं की एजुकेशन डिपार्टमेंट के सीनियर अफसरों के संरक्षण के कारण ही कांट्रेक्टर उनसे वसूली कर रहे हैं।

प्राइवेट स्कूलों ने बैलेंसशीट अपलोड करने से की मनाही

शहर के प्राइवेट स्कूल हर साल बेहताशा फीस को बढ़ाते हैं। जितनी भी बार पेरेंट्स एसोसिएशन ने डायरेक्टर या फिर प्रशासन का दरबाजा खटखटाया तो हर बार अदालत का बहाना लगाकर स्कूलों पर लगाम लगाने से बचा गया। पेरेंट्स एसोसिएशन के दबाव के चलते अप्रैल 2020 में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की शरण ली जिसके बाद अब प्राइवेट स्कूलों को बैलेंसशीट अपलोड करने के आदेश जारी किए गए है। हाई कोर्ट की तरफ से 28 मई को आदेश जारी हुए लेकिन विभाग के आला अधिकारी एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे पर बात डालते हुए दिखे और कोई भी निर्देश प्राइवेट स्कूलों को बैलेंसशीट अपलोड करने संबंधी जारी नहीं हुए।

वर्ष 2017 में सामने आया भर्ती घोटाला, नहीं हुआ समाधान

अगस्त 2015 में जिस समय रूबिंदरजीत सिंह बराड़ ने शिक्षा विभाग संभाला, उससे चंद दिन पहले 1149 टीचर्स की भर्ती हुई थी। मई 2017 में वर्ष 2015 में हुई भर्ती के लिए हुए एग्जाम लीक का मामला उजागर हुआ। जिसके बाद विभाग ने भर्ती रद कर दी। भर्ती रद होने के साथ ही टीचर्स ने कैट की शरण ली जहां पर उन्हें स्टे मिल गई। विभाग ने खुद को सही साबित करने के लिए कैट के फैसले को नवंबर 2019 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में डबल बैंच पर चैलेंज किया जहां पर उनकी हार हुई। उसके बाद एक फिर से खुद को सर्वोच्च बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया हुआ है जहां पर चल पेडिंग है। वर्ष 2015 में 1149 टीचर्स भर्ती हुए थे जिसमें से विभाग की लापरवाही के चलते अब 650 टीचर्स ही बचे है जिसमें से भी कुछ पंजाब जाने की तैयारी में है।

कांट्रेक्ट कर्मचारियों की मिली सैकड़ों शिकायतें, कार्रवाई एक पर भी नहीं

डायरेक्टर रूबिंदरजीत सिंह बराड़ द्वारा कार्यभार संभालने के बाद कांट्रेक्ट और डीसी रेट पर काम कर रहे कर्मचारियों की शिकायतें आनी शुरू हुई। छह सालों के कार्यकाल में करीब पांच साै शिकायतें डायरेक्टर स्कूल और हायर एजुकेशन के पास अा चुकी है लेकिन कार्रवाई एक भी कांट्रेक्टर नहीं हो पाई है उल्टा विभाग की ढील के चलते दो सौ के करीब कर्मचारी नौकरी खो चुके है।

कैट के निर्देशों की भी नहीं परवाह

हैरत तो यह है कि डायरेक्टर आरएस बराड़ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेव ट्रिब्यूनल बैंच कैट के भी निर्देशों का पालन नहीं करते। जून 2020 में कांट्रेक्ट पर काम करने वाले टीचर्स का कांटेक्टर के साथ विवाद हुआ। कांट्रेक्टर टीचर्स से काम पर बने रहने के लिए अतिरिक्ति पैसे की डिमांड कर रहा था। शिकायत होने के बावजूद विभाग टीचर्स के पक्ष में कोई कार्रवाई नहीं की उल्टा अक्टूबर 2020 को 151 टीचर्स को कार्यमुक्त कर दिया। टीचर्स ने कैट की शरण ली जहां पर उन्हें काम पर बहाली के साथ रोकी गई चार महीनों की सैलरी देने के निर्देश हुए। कैट द्वारा सैलरी देने के निर्देश हुए सात महीने पूरे हो गए है लेकिन टीचर्स को सैलरी नहीं मिली है और न ही उन टीचर्स को दोबारा काम पर रखा गया है।

नहीं हुई भर्ती

शहर के 115 सरकारी स्कूलों में एक लाख 35 हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे है। इन स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए 4515 पोस्टें मंजूर है लेकिन विभाग ने लंबे समय से कोई भर्ती नहीं की जिसके चलते इस समय विभाग के पास 1250 टीचर्स की कमी चल रही है।

chat bot
आपका साथी