चंडीगढ़ पुलिस की कार्रवाई से नाराज किसान नेता लोखेवाल बोले- हम शांतिपूर्वक राजभवन जा रहे थे, पुलिस ने क्यों रोका

संयुक्त किसान मोर्चा के हरविंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि किसान पिछले दस दिन से कह रहे थे कि हमारा मार्च शांतिपूर्ण है। हम राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को यादगारी पत्र देने जा रहे हैं। लेकिन चंडीगढ़ पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 02:28 PM (IST) Updated:Sat, 26 Jun 2021 02:28 PM (IST)
चंडीगढ़ पुलिस की कार्रवाई से नाराज किसान नेता लोखेवाल बोले- हम शांतिपूर्वक राजभवन जा रहे थे, पुलिस ने क्यों रोका
पुलिस की कार्रवाई से नाराज संयुक्त किसान मोर्चा के हरविंदर सिंह लखोवाल।

रोहित कुमार, मोहाली। चंडीगढ़ में दाखिल होने पर संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस ने पानी की बौछारें क्यों चलाई। जबकि हम कह चुके थे कि हमारा मार्च शांतिपूर्ण है। चंडीगढ़ पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने किसान नेताओं से बात नहीं की। सीधे कार्रवाई शुरू कर दी।

संयुक्त किसान मोर्चा के हरविंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि किसान पिछले दस दिन से कह रहे थे कि हमारा मार्च शांतिपूर्ण है। हम राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को यादगारी पत्र देने जा रहे हैं। अगर चंडीगढ़ में दाखिल नहीं होने देना था तो बार्डर पर गवर्नर हाउस या प्रशासन के अधिकारी बात करने के लिए क्यों नहीं थे। लखोवाल ने कहा कि हमारी पगडिय़ा उतारी गई है। संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हमारी रैली शांतिपूर्ण चल रही थी। वाइपीएस चौक से आगे गीता भवन मंदिर के पास चंडीगढ़ पुलिस ने अचानक ही कार्रवाई शुरू कर दी। रैली के दौरान कई बड़े नेता किसानों से पीछे चल रहे थे।

ध्यान रहे कि किसानों की ओर से कहा गया था कि पुलिस जहां रोकेगी वहीं रुक जाएंगे। लेकिन अब किसान आरोप लगा रहे हैं कि रोकने की बजाय पुलिस ने सीधी कार्यवाही शुरू कर दी।

रैली से पहले किसानों को किया संबोधित

संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र को चेतावनी दी कि तीनों कृषि कानूनों को फौरन रद्द कर दिया जाए। मोहाली में रैली से पहले किसानों को संबोधित करते संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक बलबीर सिंह राजेवाल, रूलदू सिंह मानसा, सतनाम सिंह बहिरू ने कहा कि केंद्र की ओर से गैर सैवाधनिक तौर पर पास किए गए इन कृषि कानूनों से राज्य के अधिकारों में सीधा दखल है। किसानों ने कहा कि चाहे संघर्ष 2024 या फिर जीवन भर चले लेकिन कृषि कानून रद्द होने केबाद ही आंदोलन खत्म होगा। केंद्र चाहे किसानों को गोली मारे या फिर जेलों में बंद करे ? बलबीर ङ्क्षसह राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन की नींव पंजाब में रखी गई लेकिन अब ये विश्व भर में फैल चुका है। जो लोग कृषि कानूनों को ठीक कह रहे है वे अपने बच्चों के आगामी भविष्य के साथ धोखा कर रहे है। बाद आने वाली पीढिय़ा उन्हें कोसेगी।

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