गर्भस्थ शिशु को गोद लेने या देने का समझौता नहीं किया जा सकता, पंजाब के एक मामले में हाई कोर्ट का फैसला

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अजन्मे बच्चे को गोद लेने पर महत्वपूर्ण फैसला दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि जो बच्चा अभी पैदा ही नहीं हुआ है उसे गोद लिए जाने या गोद देने का समझौता नहीं किया जा सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 26 Jun 2022 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 26 Jun 2022 07:00 AM (IST)
गर्भस्थ शिशु को गोद लेने या देने का समझौता नहीं किया जा सकता, पंजाब के एक मामले में हाई कोर्ट का फैसला
बच्चा गोद लेने पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फेसला। सांकेतिक फोटो

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। बच्चे को गोद लेने के बेहद ही अलग तरह के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जो बच्चा अभी पैदा ही नहीं हुआ है, उसे गोद लिए जाने या गोद देने का समझौता नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस एमएस रामचन्द्रराव ने पटियाला निवासी व महज एक महीने के एक बच्चे के माता-पिता द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिए हैं। जस्टिस राव ने कहा कि हिंदू एडाप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट 1956 के तहत ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है कि जो बच्चा अभी पैदा ही नहीं हुआ है उसे किसी अन्य को गोद देने या लेने के लिए समझौता किया जा सके व इसके तहत अजन्मे बच्चे को गोद लेने के लिए समझौते की परिकल्पना नहीं की जा सकती।

इस मामले में बच्चे के माता-पिता ने अपने एक महीने के बच्चे को प्रतिवादी पक्ष द्वारा अवैध तरीके से ले जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। महिला ने हाई कोर्ट को बताया था कि पिछले महीने 23 मई को उसे एक बेटा हुआ था। उसका बच्चा पैदा होने से पहले ही प्रतिवादी पक्ष ने उसका बेटे गोद लेने की इच्छा जाहिर की थी और जबरदस्ती उनसे इसके लिए समझौता भी करवा लिया था।

याचिकाकर्ता ने बताया कि बच्चा पैदा होने के बाद प्रतिवादी पक्ष उसे बच्चे को जबरदस्ती अपने साथ ले गया। मां ने हाई कोर्ट से अपने बच्चे को वापस किए जाने की गुहार लगाते हुए कहा कि उनके साथ जो समझौता हुआ था वह अवैध है।

वहीं, प्रतिवादी पक्ष ने इसे स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता ही बच्चे की मां है। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि बच्चा पैदा होने से पहले कैसे बच्चे को गोद लेने के लिए समझौता किया जा सकता है।

ऐसे में हाई कोर्ट ने बच्चे को उसकी प्राकृतिक मां को सौंपे जाने के आदेश देते हुए प्रतिवादी पक्ष को छूट दी है कि वह बच्चे के अभिभावकों के साथ किए गए समझौते को लेकर संबंधित अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं, लेकिन हिंदू अडाप्टेशन एंड मेंटेनेंस एक्ट 1956 के तहत अजन्मे बच्चे को गोद लेने के लिए समझौते की परिकल्पना नहीं की जा सकती।

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