किसानों से तीन करोड़ में लेकर 36 करोड़ में जमीन बेच रहा प्रशासन Chandigarh News
किसानों की जमीन एक्वायर करता है तो प्रति एकड़ महज तीन करोड़ रुपये उन्हें दिए जाते हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। यूटी प्रशासन जब किसानों की जमीन एक्वायर करता है तो प्रति एकड़ महज तीन करोड़ रुपये उन्हें दिए जाते हैं। लेकिन जब यही जमीन आगे बेचता या ट्रांसफर करता है तो उसकी कीमत प्रति गज कलेक्टर रेट के हिसाब से वसूल करता है। फिर यही 3 करोड़ का एक एकड़ 36 करोड़ में बेच दिया जाता है। इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के लिए चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड को ट्रांसफर की जाने वाली जमीन में ऐसा ही हो रहा है। यह आरोप यूटी इंप्लाइज हाउसिंग वेल्फेयर सोसायटी चंडीगढ़ के महासचिव डॉ. धर्मेन्द्र ने लगाए हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों से जमीन औने-पौने दामों पर खरीदकर प्रशासन कलेक्टर रेट के हिसाब से कीमत वसूल रहा है। चंडीगढ़ हाउ¨सग बोर्ड कोई प्लॉट किसी भी व्यक्ति को बेचता है तो गज के हिसाब से रेट लगाने का औचित्य बनता है लेकिन यदि जमीन एकड़ के हिसाब से खरीदी है और एकड़ के हिसाब से ही बेची जाती है तो उसका रेट एकड़ के हिसाब से ही तय होना चाहिए न कि गजों के हिसाब से। जमीन ले ली पर फ्लैट बनाकर नहीं दिए प्रशासन यूटी इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के लिए 61.5 एकड़ जमीन तो दे रहा है जिसका रेट एकड़ के हिसाब से ही तय होना चाहिए। जबकि प्रशासन इस जमीन को कलेक्टर रेट लगभग 74 हजार रुपये प्रति गज के हिसाब से कीमत तय करके यूटी इंप्लाइज को करोड़ों में बेचना चाहता है जोकि उचित नहीं है।
कलेक्टर रेट के हिसाब से एक एकड़ जमीन लगभग 36 करोड़ रुपये की बनती है यह लैंड एक्वीजिशन एक्ट का उल्लंघन है। प्रशासन और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड दोनों ही प्रॉपर्टी डीलर की भूमिका में हैं। डॉ. धर्मेन्द्र ने बताया कि प्रशासन पहले से ही सेक्टर-53 की 11.79 एकड़ जमीन यूटी इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के लिए अलॉट कर चुका है, वह पहले ही बोर्ड को बेच चुका है। बावजूद इसके प्रशासन कर्मचारियों को मूर्ख समझकर उसी जमीन को अब बोर्ड को दोबारा बेचना चाहता है। अब इंप्लाइज इस मामले में हो रहे इस खले की पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को जानकारी देंगे कि किस तरह से लैंड एक्वीजिशन एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह पोल खोली जाएगी। बोर्ड ने 2008 में चार हजार इंप्लाइज के लिए यह स्कीम लांच की थी। उनसे एडवांस में रकम तक ले ली गई लेकिन फ्लैट दस साल बाद भी नहीं मिले।
उन्होंने कहा कि किसानों से जमीन औने-पौने दामों पर खरीदकर प्रशासन कलेक्टर रेट के हिसाब से कीमत वसूल रहा है। चंडीगढ़ हाउ¨सग बोर्ड कोई प्लॉट किसी भी व्यक्ति को बेचता है तो गज के हिसाब से रेट लगाने का औचित्य बनता है लेकिन यदि जमीन एकड़ के हिसाब से खरीदी है और एकड़ के हिसाब से ही बेची जाती है तो उसका रेट एकड़ के हिसाब से ही तय होना चाहिए न कि गजों के हिसाब से। जमीन ले ली पर फ्लैट बनाकर नहीं दिए प्रशासन यूटी इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के लिए 61.5 एकड़ जमीन तो दे रहा है जिसका रेट एकड़ के हिसाब से ही तय होना चाहिए। जबकि प्रशासन इस जमीन को कलेक्टर रेट लगभग 74 हजार रुपये प्रति गज के हिसाब से कीमत तय करके यूटी इंप्लाइज को करोड़ों में बेचना चाहता है जोकि उचित नहीं है।
कलेक्टर रेट के हिसाब से एक एकड़ जमीन लगभग 36 करोड़ रुपये की बनती है यह लैंड एक्वीजिशन एक्ट का उल्लंघन है। प्रशासन और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड दोनों ही प्रॉपर्टी डीलर की भूमिका में हैं। डॉ. धर्मेन्द्र ने बताया कि प्रशासन पहले से ही सेक्टर-53 की 11.79 एकड़ जमीन यूटी इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के लिए अलॉट कर चुका है, वह पहले ही बोर्ड को बेच चुका है। बावजूद इसके प्रशासन कर्मचारियों को मूर्ख समझकर उसी जमीन को अब बोर्ड को दोबारा बेचना चाहता है। अब इंप्लाइज इस मामले में हो रहे इस खले की पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को जानकारी देंगे कि किस तरह से लैंड एक्वीजिशन एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह पोल खोली जाएगी। बोर्ड ने 2008 में चार हजार इंप्लाइज के लिए यह स्कीम लांच की थी। उनसे एडवांस में रकम तक ले ली गई लेकिन फ्लैट दस साल बाद भी नहीं मिले।