पंजाब के 40 फीसद व्यस्कों को दिल की बीमारी व स्ट्रोक का खतरा, हर साल बढ़ रही मौत की दर

दिल की बीमारियों और स्ट्रोक से होने वाली मौतों की दर पंजाब में लगातार बढ़ती जा रही है। प्रत्येक पांच में से दो पंजाबी उच्च रक्तचाप का शिकार हैं।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Fri, 15 Mar 2019 12:21 PM (IST) Updated:Sat, 16 Mar 2019 10:02 AM (IST)
पंजाब के 40 फीसद व्यस्कों को दिल की बीमारी व स्ट्रोक का खतरा, हर साल  बढ़ रही मौत की दर
पंजाब के 40 फीसद व्यस्कों को दिल की बीमारी व स्ट्रोक का खतरा, हर साल बढ़ रही मौत की दर

जेएनएन, चंडीगढ़ : दिल की बीमारियों और स्ट्रोक से होने वाली मौतों की दर पंजाब में लगातार बढ़ती जा रही है। प्रत्येक पांच में से दो पंजाबी उच्च रक्तचाप का शिकार हैं। जिससे आमतौर पर मेडिकल भाषा में हाइपरटेंशन भी कहते हैं। जोकि कार्डियोवस्कूलर बीमारियों के होने का प्रमुख कारण भी है। मोहाली आधारित सामाजिक संगठन जनरेशन सेवियर एसोसिएशन तथा दिशा फाउंडेशन द्वारा डॉक्टरों, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, फूड एंव ड्रग विभाग के अधिकारियों, सिविल सोसाइटी प्रतिनिधियों के लिए आयोजित संगोष्ठी में ट्रांस फैट की मात्र कम करने तथा उसके निर्धारण करने की जरूरत पर बल दिया गया। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने समय-समय पर हुई शोध पर आधारित अपनी रिपोर्ट पेश की।

 रिपोर्ट में बताया गया कि अधिक मात्र में ट्रांस फैट युक्त भोजन के कारण हर साल पंजाब में 2300 लोगों की मौत हो जाती है, जिन्हें की बचाया जा सकता है। पंजाब की 40 प्रतिशत से भी अधिक आबादी हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रही है और बाकी की 40 प्रतिशत आबादी में भी हाई ब्लड प्रेशर का शिकार होने के लक्षण काफी ज्यादा है। पंजाब देश में सबसे अधिक वनस्पति तेल का उपभोग करने वाला राज्य हैं।

 मधुमेह की राजधानी है सिटी ब्यूटीफुल

पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रहे 13वें चंडीगढ़ साइंस कांग्रेस में पीजीआइ से पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट से डॉ. संजय कुमार ने शिरकत की। जिसमें उन्होंने चंडीगढ़ में बढ़ रही बीमारियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश भी में डायबिटीज बड़ी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन शहर को मधुमेह की राजधानी कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शहर में मौजूद 40 प्रतिशत लोगों को मधुमेह की समस्या है। यह समस्या इतनी गंभीर है कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो हर दस साल का व्यक्ति इससे पीडि़त होगा। वहीं उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में नॉन कम्यूनिकेवल डिसीज भी बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 1990 में नॉन कम्यूनिकेवल डिसीज से पीडि़त 37.9 प्रतिशत लोग थे, जोकि वर्ष 2016 में 61.8 प्रतिशत हो गई है।

15 प्रतिशत लोगों को है बीपी की समस्या

डॉ. संजय ने इस मौके पर बीपी पर किए गए सर्वे को भी पेश किया। जिसके अनुसार शहर के लोग ज्यादा नमक और मसाले खाते हैं और 15 प्रतिशत लोग हाई बीपी से परेशान हैं। इन लोगों को लगातार दवाई का इस्तेमाल करना पड़ता है। यह सिलसिला भविष्य में बढ़ेगा, यदि मसालों का और नमक का इस्तेमाल कम नहीं हुआ। वहीं डॉक्टर संजय ने इंसान की ऊंचाई और उम्र के साथ शरीर के भार को भी नियंत्रित करने के लिए टिप्स दिए। जिसमें उन्होंने बताया कि कम से कम तले-भूने व्यंजनों का इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं उन्होंने हर किसी को दिन के 45 मिनट व्यायाम करने की भी सलाह दी ताकि भार का बढऩा, बीपी को कंट्रोल किया जा सके।

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