यूथ कांग्रेस चुनाव में वरिष्ठों की प्रतिष्ठा दांव पर

कैलाश नाथ, चंडीगढ़ : पंजाब यूथ कांग्रेस प्रधान पद के लिए मतदान 9-10 अगस्त को होगा। चुनाव भले ही यूथ

By Edited By: Publish:Mon, 03 Aug 2015 01:13 AM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2015 01:13 AM (IST)
यूथ कांग्रेस चुनाव में वरिष्ठों की प्रतिष्ठा दांव पर

कैलाश नाथ, चंडीगढ़ : पंजाब यूथ कांग्रेस प्रधान पद के लिए मतदान 9-10 अगस्त को होगा। चुनाव भले ही यूथ कांग्रेस का है, लेकिन प्रतिष्ठा दांव पर वरिष्ठ नेताओं की लगी है। यही नहीं, अब डराने और धमकाने का दौर भी शुरू हो गया है। पर्दे के पीछे से कैप्टन अम¨रदर सिंह, प्रताप सिंह बाजवा, अंबिका सोनी, रवनीत बिंट्टू, राजिंदर कौर भट्ठल, यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अम¨रदर सिंह राजा वडिंग जैसे नेता अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए लाबिंग कर रहे हैं। इसकी वजह से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का विजन भटकने लगा है।

यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रधान पद की दौड़ में मुख्य रूप से गुरदासपुर के दीपेंदर सिंह रंधावा, संगरूर की पूनम कांगरा, होशियारपुर के अमरप्रीत सिंह लाली, बठिंडा के खुशबाज जटाना, फिरोजपुर के कुलबीर सिंह जीरा और संगरूर के दमन कौर बाजवा शामिल हैं। अहम पहलू यह कि चुनाव लड़ने वाले सभी युवा नेताओं को किसी न किसी बड़े नेता का आशीर्वाद है, जो कि अपने-अपने नेताओं के लिए न सिर्फ लॉबिंग कर रहे हैं, बल्कि डराने धमकाने का भी काम कर रहे हैं। वरिष्ठ सीनियर नेता भले ही सामने नहीं आ रहे, लेकिन राजनीतिक गणित को बिठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बड़े नेताओं के बीच में कूदने से यूथ कांग्रेस का चुनाव करवाने को लेकर राहुल गांधी का विजन अपने मार्ग के भटकने लगा है, क्योंकि राहुल चाहते थे कि युवा नेता अपने दम पर उभरकर सामने आए, इसलिए उन्होंने चुनाव का फार्मूला इजाद किया था। इसकी शुरुआत भी सबसे पहले पंजाब से हुई थी।

चुनाव लड़ रहे अमरप्रीत सिंह लाली कहते हैं, 'हरेक का अपनी पार्लियामेंट सीट का इंटरेस्ट होता है। सीनियर नेता अगर बीच में न आए तो लड़ाई झगड़े बढ़ जाएंगे।' माना जा रहा है कि लाली को अंबिका सोनी का आशीर्वाद प्राप्त है। रवनीत बिंट्टू के नजदीकी खुशबाज जटाना कहते हैं, 'थोड़ी यारी है पर सपोर्ट जैसी कोई बात नहीं हैं।' एनएसयूआइ की प्रधान व यूथ कांग्रेस का चुनाव लड़ रही दमन कौर बाजवा कहती हैं, 'वरिष्ठ नेताओं को यूथ के चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अन्यथा चुनाव का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है।' राजिंदर कौर भट्ठल से संबंध होने के बारे में पूछा गया तो वह कहती हैं, 'उनके साथ मेरे पारिवारिक संबंध हैं, लेकिन मैं चुनाव अपने दम पर लड़ रही हूं।' इंदरजीत सिंह जीरा के बेटे कुलबीर सिंह बाजवा भी चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। अपने पिता के साथ-साथ उन्हें राजा वडिंग का आशीर्वाद प्राप्त हैं। हालांकि वह इस बात से इन्कार करते हैं। वहीं, दीपेंदर सिंह रंधावा खुलकर मानते हैं कि हरेक प्रत्याशी के पीछे कोई न कोई बड़ा नेता सपोर्ट कर रहा हैं। रंधावा इसे गलत मानते हैं। वह कहते हैं इससे युवाओं का स्वाभाविक नेतृत्व उभरकर सामने नहीं आ सकता है।

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